Book Title: Aupapatikopanga Sutram
Author(s): Jinendrasuri,
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________
।। १६५।।
तंजहा-अप्पारंभा अप्पपरिग्गहा धम्मिया धम्माणुया धम्मिट्ठा धम्मखाई धम्मप्पलोइया धम्मपलज्जणा धम्मसमुदायारा धम्मेणं चैव वित्ति कप्पेमाणा सुसीला सुब्बया सुप्पडियाणंदा साहूहि एकच्चाओ (एगइयाओ) पाणाइवायाओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ अपडिविरया एवं जाव परिग्गहाओ एकच्चाओ कोहाओ माणाओ मायाओ लोहाओ पेन्जाओ कलहाओ अब्भवखाणाओ पेसुण्णाओ परपरिवायाओ अरतिरतीओ मायामोसाओ मिच्छादसणसल्लाओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ अपडिविरया, एकच्चाओ आरंभसमारंभाओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ अपडिविरया, एकच्चाओ करण कारावणाओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ अपडिविरया एगच्चाओ पयणपयावणाओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ पयणपयावणाओ अपडिविरया, एकच्चाओ कोट्टणपिट्टणतज्जणतालणवहबंधपरिकिलेसाओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ अपडिविरया, एकच्चाओ ण्हाणमद्दण-वण्णगविलेवण-सद्दफरिस-रसरूवगंध-मल्लालंकाराओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ अपडिविरया, जे यावण्णे तहप्पगारा सावज्जजागोवहिया (सावन्ना अबोहिया) कम्मता परपाणपरियावणकरा कजति तओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओवि अपडिविरया तंचहा-समणोवासगा भवंति, अभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुण्णपावा आसव-संवर-निज्जर-किरिया-अहिगरण-बंध-मोक्खकुसला असहाज्जओ देवासुरणाग-जकख रक्खस-किन्नर-किंपुरिसगरुल-गंधव्व-महोरगाइएहि देवगणेहं निग्गंथाओ पावयणाओ अणइक्कमणिज्जा, णिग्गंथे पावयणे णिस्संकिया णिक्खंखिया निम्वितिगिच्छा लट्ठा गहियट्ठा पुच्छियठ्ठा अभिगयट्ठा विणिच्छियट्ठा अट्टिमिज-पेम्माणुरागरता, अयमाउसो! णिग्गंथे पावयणे अटे अयं परम8 सेसेस अण8, ऊसियफलिहा अवंगुयदुवारा चियत्तंतेउर-परघरदारप्पवेसा चउद्दसटुमुद्दिट्ट-पुण्णमासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं सम्म अणुपालेत्ता समणे णिग्गथे फासुएसणिज्जेणं असणपाण-खाइमसाइमेणं वत्थपडिग्गह-कंबल-पापपुंछणेणं ओसहभेसज्जेणं पडिहारएण य पीढफलग-सेज्जासंथारएणं पडिलाभेमाणा विहरंति, विहरित्ता भत्तं पच्चक्खंति, ते बहूई भत्ताई अणसणाए छेदिति छेदित्ता आलोइपपडिक्वंता समाहिपत्ता
प्रतिविरताप्रतिविरत्वसूचनार्थमेष द्विक:
॥१६५॥

Page Navigation
1 ... 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200