Book Title: Atmprabodh
Author(s): Jinlabhsuri, Zaverchand Bhaichand Shah
Publisher: Atmanand Jain Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 439
________________ AA चतुर्य प्रकाश. ३७ प्रतिमानुं वंदन कर्यु, एम समजवू. वली एम न मानवु के, मानुषोत्तर वगेरे पर्वतोमां श्री जिन प्रतिमा नथी, केमके जंबुधीप पन्नति आदि शास्त्रोने विषे मेरु, रुचक, मानुषोत्तर, नंदीश्वर दीप प्रमुख सर्व शाश्वत स्थानोने विषे श्री जिन प्रतिमानो सदनाव कहेलो. तेम वत्री श्री जगवतीजीना त्रीजा शतकना बोजा उद्देशमा प्रगटपणे श्री जिन प्रतिमानो अधिकार आपेस्रो छे. ते आ प्रमाणेगौतम मुनिए जगवंतने पुग्युं के " हे जगवन् , असुरकुमार देवता कोनी निश्राए उंचे उमेरे अने यावत् सुधर्म देवलोक सुधी जाय ?" तेना उत्तरमा जगवाने या प्रमाणे कयु के, ___ " से जहानामए इह सप्पराश्वा बब्बराश्वा ढंकणाश्वा चुचुयाति वा पल्हवाति वा पुलिंदातिवा एगं महं रणं वा ग९ वा पुग्गं वा दरिं वा विसमं वा पव्वयं वा निस्साए सुमदनमपि आसबलं वा हथिबलं वा जोहबलं वा घणुबलं वा आगलिंति एवमेव असुरकुमारावि देवा गणथ्य " ॥ ___ आ पाठमां जे 'णणथ्य' शब्द छे, तेना अर्थमां एटलो विशेष डे के, अरहंत, अरिहंतना चैत्य अने अनगार नावित आत्मा-ए त्रणनी निश्राए ते असुर कुमार देवता यावत् सुधर्म देवलोक सुधी जंचे उडे . वली 'गणथ्य' नो एवो अर्थ पण जे के, निश्के करीने आ लोकने विषे अथवा अरिहंतादिकनी निश्राए करी ते उंचे उमे छे. तेमनी निश्रा विना ते उंचे नमी शके नहीं. आ उद्देशमा उत्तरोत्तर त्राण निश्रा कहेली . अने पठी के आशातना कहेली छे. एक अरिहंतनी अने बीजी साधुनी. त्यां एम संनवे छे के, अरिहंतनी प्रतिमार्नु कोइ प्रकारे अरिहंतनुं तुब्यपणुं जणावाने माटे जुडं कहेवामां आव्युं नथी. एटले अरिहंत पदे करी तेमनी प्रतिमानुं ग्रहण थवाथी नूदो निर्देश को नथी. अहीं ते जैनानासो कुतर्क करे छे के, क्या श्रावके जिन प्रतिमा पूजी बे? तेना समाधानमां कहवानुं के, सिधार्थ राजा, सुदर्शन शेव, शंख, पुष्कलिक, कार्तिक शेठ अने बीजा तुंगिया नगर निवासी घणा श्रावकोए जिन प्रतिमा पूजी जे. अने ते ते अधिकारे सिकांतमा देखाय छे. “ न्हाया कयवनिकम्मा " Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464