Book Title: Atmaprabodh Author(s): Jinlabhsuri, Buddhisagar, Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar View full book textPage 7
________________ श्रीआत्मप्रबोधः पंकि ५ शतिपत्र ॥५॥ RECENGER- पृष्ठम् पंक्तिः मधुरम् शुदम् । पृडम् ६८ ९.कामे सिदित्रत्व-1 कामे सिवि- ४ लामे सिद्धिरस्ति । रस्ति १. मेवास्त मेवास्तु निजोंर्ण निर्माण निमन निमग्नं ०६ वादि बाद श्रीबीर श्रीवीर स्तत्रैकदा स्थ्यो भाहते ज्यया जयिन्यां १२ १२ स्तत्रैकदा रथयो माहवे व्ययार्थ अयिन्यां विक्षा भतिरेषा यनितम्य गुणाकारः धमों य एवं संय अतिशेषा यतितम्यं गुणाकरः धर्म २ ८२ प्रभोद भूषितत सिंदसेन साक्षिणा किंपिञ्जा L: 13555*****555555 पंक्तिः अशुरन् शुद्धम् रभूत . दर्शिन् दर्शिन १४ । र रष्टि ब्रागाति इयं संयम . नोप नोपा १. पुर पुरा पञ्ज १२ पस्याः यस्याः १२ तपा तथा वञ्जिन बजिन 1 पुरिसञ्जाया पुरिसजाया १.एगे नो २ .एगे मो पियवम्मे संतिती संतीति . ऽवदीत् उवादीत् 1 कीः कार्षीः प्रमोद भूषित सिरसेन साक्षिण: किंचिजा इति ७९ २ किंचिना रति किंचिना श्रेष्ठिने नवो कमक! ८. ५ मी नत्वा कमका बोध्ययं अपिनी बोच्या रजयिनी १ For Private & Personal Use Only Doww.jainelibrary.org Jain EducationPage Navigation
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