Book Title: Atmaprabodh
Author(s): Jinlabhsuri, Buddhisagar, 
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar

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Page 12
________________ शुद्धिपत्र ॥१०॥ पृष्ठम् पंक्ति २७७ २७७ श्रीवात्मप्रबोधः ॥१०॥ - शुद्धम् दानं कंपा विरूपं यंतीति भयं पंक्तिः अछुदम् दान १९३ १. कपा या १९३ १३ विरूप १९३ १३ व्यतीति १९७ १३ भय लाके १९४ ११ हवेना | १९४ १४ नास 13 सव | १९७ १५ सौवण सोके ASSISTAKE बधि .............. दावेन नारस पृष्ठम् पंक्तिः अशुद्धम् शुद्धम २४२ १ भग्ने न मग्नेन २४५ ११ प्रोक्त प्रोक्तं २४५ पत्रातः समारभ्य 300 पन्नाई याबदल्लर्या बहिर्नामनिर्देशे "देशविरति" इत्यस्यास्पदे "सर्वविरति' इति बोध्यम् । २५१ ९ स्थान गता स्थानं गतौ वृष्टी तस्मादा तस्माजो सस्स २५५ ७ दश दस २५८ 11 त्रिकृत्वो निःकृत्वो २५८ १ वितकः वितर्कः २७१ ११ भुक्त ૨૬ ૮ त्तिह छयाइ या य हम्मंति सा र सार सर्व ....... . . . . . . . . . . २७७ २७७ २८५ ४ २९७ ८ ३०१ ३ 301 ३ 30१६ 30१ ७ १२ १ ३१६ १४ 3१८१ ૩૨૧ ૧ अशुदम् शुदम् कप्पेह कप्पति अण्णं यण विन रहस्स स्यस्स नब्वाणं निग्वाणं वथि दंता दंता: च भाजन च भेदेन भाजन प्रश्रित प्रभित तन्त्र तत्तत्र शतं औषध सदोषध धम्म बहुना बहुना तिर्यन्न तिर्यग् सुधीभी सुधीभिहोज बिस्तीण निस्तीर्ण सौवणे ૧ર म्यां - ૧૨ सयाई | २०८ २ मयाई कुटुबे सर्थ रंभयतो समर्थ इत्ति मर्ग द्रक रंभमकारयतो मार्ग दक २२० १. २४२ ५ .... बहु ३४० १३ lain atan inte For Prve & Personal Use Only (L w .jainelibrary.org

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