Book Title: Atmaprabodh
Author(s): Jinlabhsuri
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ग्रात्म प्रबोधः ॥ १ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ श्रीजिनाय नमः ॥ ॥ अथ श्री आत्मप्रबोधः प्रारभ्यते ॥ ( द्वितीयावृत्तिः ) ( कर्त्ता श्री जिनलाभ सूरिः ) प्रसिद्ध करनार - पंमित श्रावक हीरालाल हंसराज (जामनगरवाळा. ) च्यनंतविज्ञानविशुद्धरूपं । निरस्तमहादिपरस्वरूपं ॥ नरामरेंद्रैः कृतचारुनक्तिं नमामि तीर्थेशमनंतशक्तिं ॥ १ ॥ यनादिसंबधसमस्त कर्म - मलीमसत्वं निजकं नि. रस्य ।। उपात्तशुद्धात्मगुणाय सद्यो | नमोऽस्तु देवार्यमहेश्वराय || २ || जगत्त्रयाधीशमुखोद्भवाया । वाग्देवतायाः स्मरणं विधाय ॥ विनाव्यतेऽसौ स्वपरोपकृत्यै । विशुद्दिहेतुः शुचिरात्मबोधः || ३ || अथ तावद् ग्रंथादैा संदिप्तरुचिनापि प्रायः शिष्ट For Private and Personal Use Only

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