Book Title: Atmanand Prakash Pustak 030 Ank 09 Author(s): Jain Atmanand Sabha Bhavnagar Publisher: Jain Atmanand Sabha Bhavnagar View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir iti શ્રી આત્માનંદ પ્રકાશ. 卐*****OKOK-1-*KOKHOK श्री जैसलमेर तीर्थ स्तवन. ( मेरी अरजी यह चाल ) जैसलमेर तीरथ को जुहार करो, प्रभु वंदन पूजन ध्यान धरो- अंचली. सिद्धाचलादि जैन तीरथ हैं जगत में जानिये, वैसा ही तीरथ है यही यात्रा करी मन मानिये. तारे तीरथ भविजन तीर्थ खरो-जैसल० १ ॥ है अपूरव तीर्थ जैसा जाने यात्रा जो करे, बिन अनुभव जीव जगमें चारगति रुलता फिरें. तीर्थ यात्रा से फटे कर्म घरो-जैसल० २॥ हे प्रभुजी आप तीर्थकर बने तीरथ करी. मैं तुमारे तीर्थ में होकर फिरूं कैसे घरी. अब तो जल्दी से बेड़ा पार करो-जैसल० ३।।। नव नवे हैं नव जिनालय माना नवपद पुंज है, तत्त्व नव प्रभु ने प्रकासे मानो उनकी गुंज है. ब्रह्मचर्य की शुभ नव वार धरो-जैसल० ४ ॥ For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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