Book Title: Atit ka Basant Vartaman ka Saurabh
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 2
________________ अध्यात्म की अनुभूति उस पुष्प का सौरभ है, जिसमें अतीत, वर्तमान और भविष्य की विभाजक रेखा नहीं है। जो कालातीत होता है, उसमें फिर भेद की कल्पना कैसी? आत्मा अस्तित्व है और अस्तित्व की अनुभूति परम सत्य है। परम सत्य की वेदी पर बैठकर जो अनुभव किया जाता है, वही वास्तव में अमिट होता है। उसमें मिटने वाली रेखा का निर्माण करने वाले बिन्दु नहीं होते । अध्यात्म की वेदी वह वेदी नहीं है, जिस पर एक ही बैठ सके, दूसरों के लिए अवकाश ही न हो। यह वह आस्पद है, जहां एक के स्थान पर हजार बैठ सकते हैं और हजार में एक का दर्शन हो सकता है। Jajn Education International www.jainelibrary.org

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