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वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला का पुष्प नं०६८
श्रीमद्भगवविद्यानंदाचार्य विरचित
अष्टसहस्त्री
[ द्वितीय भाग ] [ प्रथम परिच्छेद पूर्ण-कारिका ७ से २३ तक ] स्याद्वादचितामणि-भाषा टीका सहित
____टोकाकी चारित्रचक्रवर्ती १०८ आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज के प्रथम पट्टाधीश आचार्य श्री वीरसागर जी महाराज की शिष्या, सिद्धान्तवारिधि, विधान वाचस्पति,
न्यायप्रभाकर, जम्बूद्वीप रचना की पावन प्रेरिका गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी
अत्यनमो उपाति
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बरजैन त्रिल
बसस्थान
लोकशा
प्रकाशक : दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान
हस्तिनापुर (मेरठ) उ० प्र०
प्रथम संस्करण ११०० प्रति
पौष शुक्ला १२ वीर०नि० सं० २५१५
मूल्य ६४.००
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