Book Title: Anuttar Yogi Tirthankar Mahavir Part 04
Author(s): Virendrakumar Jain
Publisher: Veer Nirvan Granth Prakashan Samiti

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Page 5
________________ वर्तमान में चाँदनपुर में जीवन्त विराजमान त्रैलोक्येश्वर श्री महावीर प्रभु के चरणों में : विश्वधर्म के अधुनातन मंत्रद्वष्टा पूज्य एकाचार्य श्री विद्यानन्द स्वामी के सारस्वत कर-कमलों में नर में चुपचाप अवतरित नारायण जैसे, अपने ही आत्म-स्वरूप लगते प्यारे भाई माणकचन्द पाण्ड्या के वत्सल हाथों में : जिनमें अनायास सम्यक् चारित्र्य नितरते देखा, और जो 'अनुत्तर योगी' के जनक-जनेता हैं Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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