Book Title: Anusandhan 2013 03 SrNo 60
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 7
________________ 'अनुसन्धान' नो नवो पडाव : विज्ञप्तिपत्र-विशेषाङ्क संस्कृत साहित्यना कवि-मनीषीओए अनेकानेक प्रकारनां साहित्यक्षेत्रो खेडेलां छे, जेमां गद्यात्मक अने पद्यात्मक असंख्य साहित्यविधाओनो समावेश थाय छे, अने जे विषे अगणित ग्रन्थो तथा सन्दर्भो लखाया छे तथा लखातां रहे छे. आमांनो एक प्रकार छे पत्रसाहित्य. 'मेघदूत' जेवां काव्यात्मक पत्रो अथवा पत्र-काव्यो, मेघदूतनी समस्यापूर्तिरूपे रचायेलां दूतकाव्यो (चेतोदूत, चन्द्रदूत, हंसदूत, शीलदूत, मेघदूतसमस्यालेख, इन्दुदूत, मयूरदूत इत्यादि) काव्यजगत्मां अमर कृतिओरूप छे. मेघदूत अने तेनी पादपूर्तिरूपे रचायेलां एकाद बे दूतकाव्योने बाद करतां, जैनेतर विद्वानोए पत्रात्मक साहित्यक्षेत्रे वधु अने महत्त्व, खेडाण कर्यु होय तेम जणातुं नथी. आ क्षेत्रे झाझं खेडाण तो जैन कविओए ज कर्यु जणाय छे. एमां दूतकाव्यो उपरांत 'विज्ञप्तिपत्र'ना नामे ओळखातां अनेक पत्रकाव्यो प्रधान स्थाने छे. खरेखर तो "विज्ञप्तिपत्र' ए जैन कवि-साधुओ द्वारा ज उद्भव पामेलुं एक आगवू साहित्यक्षेत्र अथवा साहित्यप्रकार छे, जे जैनेतर कविओए क्यारे पण खेडेल नथी. मेघदूत काव्य ए शुद्ध कविकल्पना छे, जे सहृदय भावकना चित्तने एक विलक्षण चमत्कृतिथी आन्दोलित करी मूके छे. ज्यारे तेनी अनुकृतिरूपे रचायेलां केटलांक काव्योमां ते प्रकारनी शुद्धप्राय कविकल्पना होवा छतां, पछीथी रचायेला तेवां काव्यो शुद्ध के शुद्धप्राय कविकल्पना न बनतां, कविकल्पनाथी भरेला अने छतां जीवंत लोकोना संवाद, वर्णन तथा नगरादिकनां ऐतिहासिक स्वरूपवर्णन वगेरेने समावनारां होईने पत्र-काव्योनं के काव्यात्मक पत्रोनुं रूप धारण करतां होय छे. आवा पत्रोमां 'विज्ञप्ति' ए पर्यवसान होय अथवा सघळो भार अने भाव छेवटे विज्ञप्ति-पर्यवसायी होय, तेथी आवां काव्योने 'विज्ञप्तिपत्र' एवा नामे ओळखवामां आव्यां छे. __आवां पत्रो सम्भवतः १२मा-१३मा सैकामां पण लखातां होय, तेम ते समयना प्राप्त, त्रुटक के अधूरा, एक-बे पत्रो (ताडपत्र पर लखेला) जोतां Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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