Book Title: Anusandhan 2013 03 SrNo 60
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ 13 पत्रमा क्यांय वर्षनो उल्लेख नथी. आ पत्र पाटणना हेमचन्द्राचार्यज्ञानभण्डारमां डा. १९७ क्र. ८००९ मां छे. सम्भवत: कर्ताना स्वहस्ताक्षरनो ते पत्र छे. ३ पत्रोना पत्रनी झेरोक्स नकल, वर्षो अगाउ, पाटणथी ज मेळवेली, तेनो आमां उपयोग कर्यो छे. ते पत्रनी नकल आपवा माटे भण्डारना कार्यवाहकोनो आभार मा छु. पत्र काव्यात्मक गद्य-पद्यमां छे. गद्यांश कादम्बरी अने तिलकमञ्जरीनी स्मृति करावे छे. अदूषित विदग्धता केवी होय ते आ पत्र वांचवाथी समजाय तेम छे. विनयविजयजी, विपुल साहित्य अने तेमनी विद्वत्ता जाणीतां छे ज, पण आ पत्रमा तेमनी जे कविप्रतिभा प्रगटे छे, ते तो अद्भुत छे. प्रारम्भमां प्रथमाथी सप्तमी विभक्तिना 'यद्' शब्दनां एकवचनमां रूपो थकी महावीरस्तुति करी छे, अने पछी ते ज रीते सात विभक्तिओथी ७ पद्यो आलेख्यां छे; ते केवां मनोहारि छे ! ते पछी प्रथम गद्यखण्डो वडे ७ विभक्तिमां अने पछी ८ पद्यो वडे सात विभक्तिमां ज द्वीपबन्दरनुं सोहामणुं वर्णन थयु छे. ते पछी रामनगरना संक्षिप्त वर्णनपूर्वक लेखक धर्मकार्योनो वृत्तान्त रजू करे छे २ गद्यखण्डोमां. तेमां 'सुबोधिका'ना वांचननो उल्लेख ध्यानार्ह छे. _ पछीना गद्यखण्डोमां ७ विभक्तिमां गुरुवर्णन छे, अने पछी पद्योमां पण ते ज वर्णन छे. पद्य १४-१५मां पत्रोत्तरनी विनति, गुरुनिश्रामा रहेला साधुओनुं नामस्मरण, तेमज पोतानी निश्राए वर्तता मुनिओना नामोल्लेख साथे पत्र समाप्त थयो छे. एक अनुपम रचना ! _ (पत्र १०) उपलब्ध पत्रसाहित्यमां सौथी वधु पत्रो आ. श्रीविजयप्रभसूरिजी पर लखेला मळे छे. हवेना आ आठे पत्रो भट्टारक श्रीविजयप्रभसूरिजीने उद्देशीने ज लखायेला छे. पत्रोनी तालिका - पत्र पत्र लखनार क्याथी लखायो ? - प्रभसूरिजी क्यां बिराजमान ? १० उदयविजयजी सिद्धपुर जीर्णदुर्ग (-जूनागढ) ११ पं. नयविजयजी भवाल देवकपत्तन क्र. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 244