Book Title: Anusandhan 2001 00 SrNo 18 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 7
________________ १८. श्रीसिद्धाचलतीर्थ-चैत्यपरिपाटी कर्ता : मालशी नागजी, सं.विजयशीलचन्द्रसूरि 117 १९. आचार्य हरिभद्र अने तेमनो 'योगदृष्टिसुमच्चय' ग्रंथ नगीन जे. शाह 188 २०. ट्रंक नोंध विजयशीलचन्द्रसूरि 194 (१) वाचक उमास्वातिनां बे पद्य 194 (२) श्रीहीरविजयसूरिजीना समाधि-स्थल विषे 195 (३) श्रीयशोविजय वाचकना पगलां 198 (४) एक अप्रकट मूर्तिलेख 199 २१. पत्रचर्चा (१) सारस्वतोल्लासकाव्यना कर्ता जयंत कोठारी 200 (२) विहंगावलोकन मुनि भुवनचन्द्र 202 विभाग २ : अंजलि-लेखो २२. नखशिख विद्यापुरुष मुनि भुवनचन्द्र 206 २३. एमां बे वात छे हसु याज्ञिक 208 २४. विरल विद्यापुरुष कुमारपाल देसाई 224 २५. विद्यानो मोजभर्यो व्यासंग जयंत कोठारी 229 २६. अगणित पंखीओना आश्रयरूप एक वडलो जयंत कोठारी २७. अनेक दुर्घटनाओमांथी सर्जायेली घटना 247 २८. वीसमी सदीना हेमचन्द्राचार्य सुरेश दलाल 263 २९. हरिवल्लभ भायाणीनुं अवसान संकलित 266 ३०. श्री भायाणीसाहेबनी चिरविदाय विजयशीलचन्द्रसूरि 270 ३१. श्री जयंत कोठारीनी पण चिरविदाय विजयशीलचन्द्रसूरि 271 ३२. जयंत कोठारीना २ पत्रो 272 ३३. डॉ. ह.भायाणीनां प्रकाशित मुख्य पुस्तको . संकलित 275 (१९९३ पर्यंत) ३४. केटलीक रसप्रद माहिती संकलित -237 276 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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