Book Title: Anusandhan 1998 00 SrNo 12
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 117
________________ 112 अनु सं. - पत्र ११ । ११-२७ कृति कर्ता संपादक * चोवीस जिन गीतो पंडित कवि मुनि जिनसेन तत्त्वविजय विजय * चोवीश जिन नमस्कार वाचक यशो · शीलचन्द्रविजय (अष्टमी-माहात्म्य-गर्भ) विजय गणि ५ । ४४-४६ * जगडूसाह छंद कांतिभाइ बी. १०। ६८-७२ शाह * श्री जिनपतिसूरि पंचाशिका भँवरलाल नाहटा ११ । ३२-३६ * जिनविजयजीनो एक ह. भायाणी . ७ । १२८ स्मरणीय भावोद्गार * श्री जिन स्तुति मुनि जगच्चन्द्र ८।१२५-१२६ विजय गणि * जिन साधारण स्तवन श्री हरिभद्र- विजयशील- ८।१००-१०१ सम संस्कृत प्राकृत सूरि चन्द्रसूरि * जिन साधारण स्तवननो पारुल मांकड ११ । २८-३१ आस्वाद सम संस्कृत-प्राकृत * 'जुगाइ जिणिंद चरियं ना ह. भायाणी ६ । ९० एक पद्यनो आधार * जैन आगम-भाषा विषयक ह. भायाणी १०। ११४ संगोष्ठीना संबंधमां विद्वानोना पत्रो * जैन तीर्थस्थान तारंगा रमणलाल महेता ३ । ४०-४२ एक प्राचीन नगरी कनुभाई शेठ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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