Book Title: Anusandhan 1998 00 SrNo 12
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 130
________________ 125 अनु सं. - पत्र १२ । १-४८ कृति * मातृकाप्रकरण : एक महत्त्वपूर्ण अभ्यासनीय कृति * मुनि प्रेमविजयनी टीप कर्ता संपादक मुनि अक्षय- विजयशील- चन्द्र चन्द्रसूरि , ह. भायाणी मुनि भुवनचंद्र ६ । ७१-७५ ७ । १०५ ७ । १०६ शीलचन्द्र सूरि ० मुनि प्रेमविजयजीनो एक दस्तावेजी शिलालेख ० मुनि प्रेमविजयजीनी टीपना गुजराती शब्दो मुनि भुवनचन्द्र ७।१०७-१०९ * मङ्गलवाद १० । १-९ वाचक सिद्धिचन्द्र गणि विजय शील- चन्द्र सूरि २ । ५८-५९ * यतिदिनचर्या : वृत्तिनी गवेषणा ० अज्ञात कृत वृत्ति अज्ञात २। ६० प्रद्युम्नविजय गणि प्रद्युम्नविजय गणि प्रद्युम्नविजय गणि ० टीकानो प्रारंभ भाग श्री मति २ । ६१-६२ सागर ह. भायाणी ८।१३०-१३१ * रोयल एसिआटिक सोसायटी (लंडन) मांना टोड हस्तप्रत संग्रह-गत केटलीक नोंधपात्र हस्तप्रत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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