Book Title: Anusandhan 1998 00 SrNo 12
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 124
________________ 119 . कृति कर्ता संपादक अनु सं. - पत्र ७।१०४ विजय शील- चन्द्र सूरि ६।८१-८२ ० श्री हेमचन्द्राचार्यनी शिष्य परंपरा विशे * ढूंकी नोंध ० प्रा. कियाडिया ० मीण प्रत्ययवाला अर्धमागधी - वर्तमान कृदन्तो ० लजामणी ० सुकुमारिका प्रथमालिका ह. भायाणी ह. भायाणी ६। ७६-७७ ह. भायाणी ह. भायाणी ६। ८० ६। ८१ ११ ।९९-१०१ ५। ४७-५१ * तीर्थंकर महावीरनुं देहवर्णन ह. भायाणी (जैन आगमग्रंथ औपपातिकसूत्रना महावीर वर्णक अने तेना परनी अभयदेवसूरिनी वृत्तिने आधारे) * त्रण चउवीसी - लक्ष्मीसागर- मुनि कल्याण विहरमाण जिन स्तवन सूरि शिष्य कीर्ति विजय * त्रण जिन स्तोत्रो ० श्री पावक पर्वतमण्डन श्री विवेकरत्न विजय शील- संभव जिन स्तोत्र सूरिना शिष्य चन्द्रसूरि मुनि देवरत्न ० श्री पार्श्वजिन लघु रूपचन्द्र विजय शील- स्तवनम् चन्द्र सूरि ० समस्त जिन स्तुति रूपचन्द्र विजय शील- चन्द्र सूरि ११ । ६५-६६ ११ । ६४-६५ ११ । ६३ ६४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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