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अंत:करण का स्वरूप
अंत:करण का स्वरूप
जब भी विचार करते हैं उस समय मन है। दूसरे समय में मन नहीं होता। जब जलेबी खाने का विचार आया तो फिर वह विचार अहंकार को पसंद आया कि, 'हाँ, बहुत अच्छा विचार है, जलेबी मंगाओ।' इसमें मन कुछ नहीं करता। वह अहंकार है, जो बीज डालता है। क्या करता है?
प्रश्नकर्ता : संकल्प का बीज डालता है।
दादाश्री : हाँ, और विकल्प क्या करता है? कोई पूछे कि यह दुकान तुम्हारी है? तो क्या बोलेगा कि 'हाँ, मैं ही इसका सेठ हूँ।' तो वह विकल्प है। समझ गये न? तो जब योनि में बीज डालता है, तब संकल्प-विकल्प बोला जाता है। मन में संकल्प-विकल्प नहीं है।
प्रश्नकर्ता : तो विचार और अभिप्राय एक ही वस्तु है?
दादाश्री : नहीं, अलग है। अभिप्राय कॉजेज (कारण) है और विचार परिणाम है।
कोई बोले कि 'यह कैसा काला आदमी है ?' तो वह बोलेगा कि 'मैं तो गोरा हूँ।' तो वह विकल्प है। समझ में आता है?
प्रश्नकर्ता : मन में संकल्प-विकल्प नहीं हैं?
दादाश्री : मन में संकल्प-विकल्प नहीं हैं। माइन्ड इझ न्युट्रल, कम्पलिट न्युट्रल (मन निष्पक्ष है, पूर्ण निष्पक्ष है)।
प्रश्नकर्ता : तो अहंकार ही संकल्प-विकल्प करता है? दादाश्री : हाँ, अहंकार ही संकल्प-विकल्प करता है।
सब लोग मन को वश करने की बात करते हैं मगर मन वश होता ही नहीं। अरे, उस बेचारे को क्यों वश करने जाते हो? मैं क्या कहता हूँ कि कंट्रोल दाइसेल्फ! तुम स्वयं को वश करो। मन को वश करना चाहते हो, तो मन किसका लड़का है, उसकी तलाश की है? सब लोग बोलते हैं कि मन, भगवान ने दिया है। मगर भगवान ने ऐसा
मन क्यों दिया है? अरे, भगवान को क्यों गाली देते हैं? भगवान मन कहाँ से लाया? भगवान को मन होता तो भगवान को भी मन परेशान करता। मगर मन परेशान नहीं करता है। मन को क्यों कंट्रोल (नियंत्रित) करते हैं? कंट्रोल दाइसेल्फ (स्वयं को वश करो)! मन का फादर कौन है? Opinion is the father (अभिप्राय, मन का पिता है) और मन की मदर कौन है? Language is the mother ! (भाषा, मन की माता है)! क्रिस्टियन मन के लिए क्रिस्टियन मदर (उनके द्वारा बोली जानेवाली भाषा) और भारतीय मन के लिए भारतीय भाषा चाहिए। मदर्स आर सेपरेट, ऑपिनियन इझ द फादर कॉमन टु आल (भाषा रूपी माता अलग होती है जबकि अभिप्राय रूपी पिता सभी में सामान्य होता है)। क्रिस्टियन भाषा और अभिप्राय वह क्रिस्टियन मन है।
प्रश्नकर्ता : आप ग्राड्युएट (स्नातक) हुए हैं? आपकी तो बहुत हाई लेगवेज (उच्च भाषा) है!
दादाश्री: नहीं भाई, हम तो मैट्रिक फेइल (दशवीं कक्षा अनुर्तीण) हैं।
मन का सोल्युशन (समाधान) इस दुनिया में किसी ने नहीं दिया, तो हम सोल्युशन देते हैं।
मन कैसा है? मन के माता-पिता कौन है ? मन का कहाँ जन्म हुआ? मन के माता-पिता को समझ लिया तो मन चला जाता है। दोनों में से एक मर गया तो मन कैसे रहेगा?
एक पुस्तक लिखी जाये उतनी बात, एक वाक्य में मैं बोलता हूँ कि ऑपिनियन इझ द फादर एन्ड लेगवेज इझ द मधर ऑफ माइन्ड (अभिप्राय मन का पिता है और भाषा उसकी माता है)। मराठी भाषा है तो महाराष्ट्रियन मन है। अंग्रेजी भाषा है तो अंग्रेजी मन है। आपको थोड़ा समझ में आता है?
हमें किसी के बारे में अभिप्राय ही नहीं है। हम दो चीज़ देखते