________________
अंत:करण का स्वरूप
अंत:करण का स्वरूप
बुद्धि के कनेक्शनवाले संसार के सभी सब्जेक्ट जाने मगर वह अहंकारी ज्ञान है, इसलिए उसका बुद्धि में समावेश होता है। मगर निरहंकारी ज्ञान, वही ज्ञान है।' 'मैं कौन हूँ' इतना ही जो जाने, वह 'ज्ञानी' है। जप, तप, त्याग सब सब्जेक्ट (विषय) हैं। विषयी कभी निर्विषयी आत्मा प्राप्त नहीं कर सकता।
प्रश्नकर्ता : जो सिद्धि प्राप्त करता है वह भी विषय है?
दादाश्री : वह सभी विषय हैं और वह सब सब्जेक्ट ज्ञान हैं और विषय की आराधना करने से मोक्ष नहीं मिलता। आपके पास बुद्धि है, जगत के पास बुद्धि है, मगर हम अबुध है। बुद्धि, मनुष्य को क्या करती है? इमोशनल करती है। ये ट्रेन मोशन (गति) में चलती है, वह अगर इमोशनल हो जाये तो क्या हो जाएगा?
प्रश्नकर्ता : सब बिगड़ जाएगा।
दादाश्री : वैसे मनुष्य इमोशनल होता है, तब शरीर के अंदर जितने जीव हैं, वे सब मर जाते हैं। उसका दोष लगता है। इसलिए हम तो मोशन में ही रहते हैं। हम इमोशनल कभी नहीं होते। आपको मोशन में रहने की इच्छा है या इमोशनल?
प्रश्नकर्ता : मोशन में रहने की इच्छा है।
दादाश्री : मनुष्य की बुद्धि क्या बताती है? नफा और नुकसान, दो बताती है। बुद्धि दूसरी कोई चीज़ नहीं बताती। गाड़ी में अंदर दाखिल होते ही, बुद्धि दिखाती है कि 'किधर अच्छी जगह है और किधर नहीं है।' बुद्धि का धंधा ही नफा-नुकसान दिखाने का है। मुझे बिल्कुल बुद्धि नहीं है, तो मुझे नफा-नुकसान किसी जगह पर लगता ही नहीं। यह अच्छा है, यह बुरा है, ऐसा लगता ही नहीं। बड़े-बड़े बंगलेवाले लोग आते हैं, वे हमें पूछते हैं कि 'आपकी दृष्टि से हमारा बंगला कैसा लगा?' तो हम बताते हैं, 'मुझे तुम्हारा बंगला कभी अच्छा नहीं लगा जो बंगला इधर ही छोड़ना है, उसका अच्छा बुरा क्या देखना? इसी बंगले में से अपनी ननामी (अर्थी) निकलेगी।'
बुद्धि पर-प्रकाशक है और आत्मा स्व-पर प्रकाशक है। बुद्धि और ज्ञान दो अलग बातें हैं। आपके पास ज्ञान है या बुद्धि?
प्रश्नकर्ता : बुद्धि तो है, ज्ञान के लिए वहाँ तक पहुँचा नहीं। दादाश्री : बुद्धि है तो वहाँ ज्ञान नहीं है। प्रश्नकर्ता : इसलिए ज्ञान में पहुँचने के लिए कोशिश करता हूँ।
दादाश्री : नहीं, ज्ञान में कोशिश करने की जरूरत ही नहीं। वह सहज होता है, कोशिश नहीं करनी पड़ती।
प्रश्नकर्ता : ज्ञान की बात बुद्धि से नहीं समझनी है, ऐसा क्यों?
दादाश्री : हाँ, यह बात बुद्धि से पर है। बुद्धि जिसके पास बिल्कुल है नहीं, जो अबुध है, वहाँ से यह बात मिलती है। इस दुनिया में किसी जगह पर अबुध आदमी कभी देखा था? सब बुद्धिवाले देखे? इस दुनिया में हम अकेले अबुध हैं। हमारे में बुद्धि बिल्कुल नहीं, हमारे पास ज्ञान है। ज्ञान और बुद्धि में क्या डिफरन्स (फर्क) है? बुद्धि इन्डिरेक्ट प्रकाश है और ज्ञान डिरेक्ट प्रकाश है। ये दो चीजें हैं, तो दो में से हमने एक रख लिया, डिरेक्ट प्रकाश। इन्डिरेक्ट प्रकाश हमें नहीं चाहिए। जिसके पास डिरेक्ट प्रकाश नहीं है, उसे इन्डिरेक्ट प्रकाश चाहिए। इसके लिए वह कैन्डल (मोमबत्ती) रखता है मगर डिरेक्ट प्रकाश आया तो फिर कैन्डल की क्या जरूरत? (आत्मा प्राप्त होने के बाद बुद्धि की क्या जरूरत?) सारे जगत के पास कैन्डल है, हमारे पास केन्डल नहीं है अर्थात् हमारे पास बुद्धि नहीं है।
जो इन्डिरेक्ट प्रकाश है वह कैसा प्रकाश होता है? यह आपको बता दूं कि सूर्यनारायण का प्रकाश इधर आयने पर डिरेक्ट आता है
और आयने का प्रकाश अपनी रसोई में जाता है। रसोई में जाता है, उस प्रकाश को इन्डिरेक्ट प्रकाश बोला जाता है। ऐसे सब मनुष्यों को 'बुद्धि' इन्डिरेक्ट प्रकाश है, और सूर्यनारायण का डिरेक्ट प्रकाश जो इधर आयने पर आता है, उस डिरेक्ट प्रकाश को 'ज्ञान' बोला जाता है।