Book Title: Angsuttani Part 01 - Ayaro Suyagao Thanam Samavao
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
पइण्णगसमवाओ
६४५
सेजसे बंभदत्ते, सुरिंददत्ते य इंददत्ते य । 'तत्तो य धम्मसीहे, सुमित्ते तह धम्ममित्ते य" ॥१॥ पुस्से पुणव्वसू पुण्णणंद', सुणंदे जये य विजये य। 'पउमे य सोमदेवे, महिंददत्ते य सोमदत्ते य" ॥२॥ अपरातिय वीससेणे, वीसतिमे होइ उसभसेणे य। दिण्णे वरदत्ते, धन्ने बहुले य आणुपुवीए ॥३॥ एते विसुद्धलेसा, जिणवरभत्तीए पंजलिउडा य ।
तं कालं तं समय, पडिलाभेई जिणवरिदे ॥४॥ २३०.
संवच्छरेण भिक्खा, लद्धा उसभेण लोगणाहेण । सेसेहिं बीयदिवसे, लद्धाओ पढमाभक्खाओ ॥१॥ उसभस्स पढमभिक्खा, खोयरसो आसि लोगणाहस्स। सेसाणं परमण्णं. अमयरसरसोवमं आसि ॥२॥ सव्वेसिपि जिणाणं, जहियं लद्धाओ पढमभिक्खातो।
तहियं वसुधाराओ, सरीरमेत्तीओ वुढाओ ॥३॥ २३१. एतेसि णं चउवीसाए तित्थगराणं चउवीसं चेइयरुक्खा होत्था, तं जहा
णग्गोह-सत्तिवण्णे, साले पियए पियंगु छत्ताहे। सिरिसे य णागरुक्खे, माली' य पिलखुरुक्खे य॥१॥ तेंदुग पाडल जंबू, आसोत्थे खलु तहेव दधिवण्णे । णंदी रुक्खे तिलए य. अंबयरुक्खे असोगे य ॥२॥ चंपय वउले य तहा, वेडसिरुक्खे" धायईरुक्खे । साले य वड्डमाणस्स, चेइयरुक्खा जिणवराणं ॥३॥ बत्तीसइं१२ धणूइं, चेइयरुक्खो य वद्धमाणस्स । णिच्चोउगो असोगो, ओच्छण्णो सालरुक्खेणं ॥४॥ तिण्णे व गाउयाई, चेइयरुक्खो जिणस्स उसभस्स । सेसाणं पुण रुक्खा, सरीरतो बारसगुणा उ ॥५॥
१. सेज्जंस (क)।
६. भत्तीय (क, ग)। २. पउमे य सोमदेवे, माहिंदे तह सोमदत्ते य ७. अमिय ° (क्व)। (क्व)।
८. पियाले (क)। ३. °णंदे (ग)।
६. साली (ख)। ४. तत्तो य धम्मसीहे, सुमित्त तह वग्गसीहे अ १०. ४ (क)। (क्व)।
११. वडेस ° (क्व)। ५. धम्मे (क)।
१२. बत्तीसं (ग)।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 1042 1043 1044 1045 1046 1047 1048 1049 1050 1051 1052 1053 1054 1055 1056 1057 1058 1059 1060 1061 1062 1063 1064 1065 1066 1067 1068 1069 1070 1071 1072 1073 1074 1075 1076 1077 1078 1079 1080 1081 1082 1083 1084 1085 1086 1087 1088 1089 1090 1091 1092 1093 1094 1095 1096 1097 1098 1099 1100 1101 1102 1103 1104 1105 1106 1107 1108