Book Title: Angsuttani Part 01 - Ayaro Suyagao Thanam Samavao
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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२१
संगहणी-गाहा; ३।१८६-१९४
संगहणी-गाहा
३।१०६ २।२३२
४।४७१-४७३
सुतित्ता असुतित्ता, जुज्झित्ता खलु तहा अजुज्झिता। जतित्ता अजयित्ता य, पराजिणित्ता चेव णो चेव ॥४॥ सहा रूवा 'गंधा, रसा य" फासा तहेव ठाणा य । णिस्सीलस्स गरहिता, पसत्था पुण सीलवंतस्स ।।५।। एवमिक्केक्के तिण्णि उ तिण्णि उ आलावगा भाणियब्वा।
३।११८-२८४ एवं एसा गाहा फासेतव्वा, जाव-ससरीरी चेव असरीरी चेव सिद्धसइंदियकाए, जोगे वेए कसाय लेसा य । णाणुवओगाहारे, भासग चरिमे य ससरीरी ॥१॥ २१४१० एवं ओस प्पिणीए नवरं पण्णत्ते आगमिस्साते उस्सप्पिणीए भविस्सति
३।११०,१११ एवं कंता पिया मणुण्णा मणामा
२।२३३ एवं कुलसंपण्णेण य बलसंपण्णेण य कूलसंपण्णेण य रूवसंपण्णेण य कूलसंपण्णेण य जयसंपण्णेण य
४।४७४-४७६ एवं कुलेण य रूवेण य कुलेण य सुतेण य कुलेण त सीलेण य कुलेण य चरित्तेण य
४।३६७-४०० एवं गंधाइं रसाइं फासाइं जाव सव्वेण वि १०३ एवं गंधा रसा फासा एवमिक्किक्के छ-छ आलावगा भाणियव्वा
२।२३०-२३० एवं चउभंगो तहेव
४।२५० एवं चक्कवट्रिवंसा दसारवंसा
२।३१०,३११ एवं चक्कवट्टी एवं बलदेवा एवं वासुदेवा जाव उप्पज्जिस्संति
२।३१३-३१५ एवं चिणंति एस दंडओ एवं चिणिस्संति एस दंडओ एवमेतेणं तिण्णि दंडगा
४।६३,६४ एवं चेव
३।४८४ एवं चेव
४।४२७ एवं चेव
४।६१७ एवं चेव
४।६१६ एवं चेव
५:१६१
३।३६६ १०।३२।२०३,२०४
२।२३४ ४।२५० २।३०४
२।३१२
४।६२ ३१४८३ ४।४२६ ४१६१७ ४।६१८ ५।१५६
१. रसा गंधा (क, ग)।
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