Book Title: Angsuttani Part 01 - Ayaro Suyagao Thanam Samavao
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 1087
________________ ५४५८ ७।१३४ ५१५७ ७।१३२ ७७३ ६७ ६७ ६८ ६।१२ ७ ६।१२८ ७७३ ६७२ ६।६,८ ४७;१०११५३ ७।८३ ५।१४१ ७८४ ६९ पायत्ताणिते जाव रधाणिते पावते जाव भूताभिसंकणे पुढविकाइएहिंतो वा जाव तस० पुढविकाइएहितो वा जाव पंचिदिएहितो पुढविकाइएत्ताए जाव पंचिंदियत्ताए पुढविकाइएत्ताए वा जाव पंचिंदियत्ताते पुडविकाइयणिव्वत्तिमे जाव तस० पुढविकाइयणिव्वत्तिते जाव पंचिदियणिव्वत्तिते पुढविकाइया जाव तसकाइया पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया पुढविकातितअसंजने जाव तस० पुढविकातितअसंजमे जाव वणस्सति० पुढविकातितआरंभे जाव अजीव० पुढविकातितत्ताते वा जाव तस० पुढविकातितसंजमे जाव तस० पुढविकातित [य] संजमे जाव वणस्सति० पुप्फए जाव विमलवरे पुरिसे जाव अवहरति पुव्वासाढा एवं चेव पोतगत्ताते वा जाव उब्भिगताते पोतगत्ताते वा जाव उववातितत्ताते पोतगा जाव उब्भिगा पोतजेहिंतो वा जाव उब्भिगेहितो पोततेहिंतो वा जाव उववातितेहितो फरिस जाव गंधाई फुसित्ता जाव विकुव्वित्ता बहुमीहति जाव असंदिद्धमीहति बेइंदिया जाव पंचिंदिया बेंदिता जाव पंचेंदिता भरहे जाव महाविदेहे भवति जाव फासामतेणं भवित्ता जावं पव्वइए [तिते] भवित्ता जाव पव्वयाहिति ६७ ७७३ ७७३ ७७३ ७७३ ७८२ ७७३ ७७३ ७७३ ८।१०३ ५७३ ४१६५४ ७१३ ८२ ७८२ ५।१४०,१०८ १०।१५० ५।७४ ४।६५५ ७४ ८.३ ७१३ ८२ ७४ ८३ ७१३ ८२ १०७ ७।२ १०७ ७२ ६।६२ ६७ १०।१५३ ७१५४ ६।८२ ३१५३२,४।१,४५०:५९७६।६२ ६।६२ ६।६१ ६।११ ६।११ ७.५० ६।८१ ३१५२३ ३३५२३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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