Book Title: Angsuttani Part 01 - Ayaro Suyagao Thanam Samavao
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 1048
________________ पइण्णगसमवाओ ६४६ विहाडगा अद्धभ रहसामी सोमा रायकुल- वंस - तिलया अजिया अजिय रहा हलमुसल - कणग- पाणी संख-चक्क-गय- सत्ति- नंदगधरा पवरुज्जल- सुक्कंत' - विमलगोथुभ-तिरीडधारी कुंडल - उज्जोइयाणणा पुंडरीय - णयणा एकावलि - कंठलइयवच्छा सिरिवच्छ-सुलंछणा वरजसा सव्वोउय सुरभि - कुसुम-सुरइत- पलंबसोभंतकंत-विकसंत-चित्त' - वरमाल - रइयवच्छा अट्ठसय - विभत्त- लक्खण-पसत्थ-सुंदरविरइयंगमंगा मत्तगयवरिंद-ललिय- विक्कम विलसियगई सारय-नवथणियमधुरगंभीर कोंच निग्घोस-दुंदुभिसरा कडिसुत्तगनील-पीय- कोसेयवाससा पवरदित्ततेया' नरसीहा नरवई नरिंदा नरवसभा मरुयवसभकप्पा अब्भहियं राय-तेय - लच्छी दिप्पमाणा नीलग-पीतग- वसणा दुवे-दुवे रामकेसवा भायरो होत्था, तं जहा संग्रहणी - गाहा तिविट्ठू यदुविट्ठू य, सयंभू पुरिसुत्तमे । पुरिससीहे तह पुरिसपुंडरीए दत्ते नारायणे • कण्हे ॥१॥ अयले" "विजए भद्दे, सुप्पभे य सुदंसणे । आणंदे णंदणे पउमे, रामे यावि' अपच्छिमे ॥२॥ २४२. एतेसि णं णवण्हं बलदेव - वासुदेवाणं पुव्वभविया नव-नव नामधेज्जा होत्था, तं जहा पव्वयए, एयाई एत्तो विस्सभूई पियमित्त' ललियमित्ते नामाई, बलदेवाणं, विसनंदी सुबंधू य, धम्मसेणे, २४३. एतेसि णं नवहं वासुदेवाणं पुव्वभविया' नव धम्मायरिया होत्था, तं जहासंभूत' सुभद्दे" सुदंसणे, य सेयंसे कण्ह गंगदत्ते य । वाराह सागरसमुद्दनामे, दुमसे य णवमए ॥१॥ १. सुक (वृपा) । २. विचित्त ( ग ) । ३. कोसेयज्ज ० ( ग ) । ४. सं० पा० - तिविट्ठू य जाव कण्हे । ५. सं० पा० - अयले जाव रामे । Jain Education International धणदत्त समुहदत्त सेवाले । पुणव्वसू गंगदत्ते य ॥१॥ पुव्वभवे आसि वासुदेवाणं । जहक्कमं कित्तइस्सामि ॥ २ ॥ सागरदत्ते असोगललिए य । अपराइय रायललिए य ॥३॥ ६. य ( ख ) । ७. पियमेत्त ( क ) ; पियमित्ते ( ग ) । 5. पुब्वभविया ( क ); पुव्वभवे ( ग ) । ६. संभूते ( ख, ग ) । १०. सुभद्द ( ग ) । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 1046 1047 1048 1049 1050 1051 1052 1053 1054 1055 1056 1057 1058 1059 1060 1061 1062 1063 1064 1065 1066 1067 1068 1069 1070 1071 1072 1073 1074 1075 1076 1077 1078 1079 1080 1081 1082 1083 1084 1085 1086 1087 1088 1089 1090 1091 1092 1093 1094 1095 1096 1097 1098 1099 1100 1101 1102 1103 1104 1105 1106 1107 1108