Book Title: Angsuttani Part 01 - Ayaro Suyagao Thanam Samavao
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 1052
________________ पइण्णगसमवाओ नव दसारमंडला भविस्संति, तं जहा-उत्तमपुरिसा मज्झिमपुरिसा पहाणपुरिसा ओयंसी तेयंसो एवं सो चेव वण्णओ भाणियन्वो जाव' नीलग-पीतग वसणा दुवे-दुवे रामकेसवा भायरो भविस्संति, तं जहासंगहणी-गाहा नंदे य नंदमित्ते, दीहबाहू तहा महाबाहू । अइबले महाबले, बलभद्दे य सत्तमे ॥१॥ दुविठू य तिविठ्ठ य, आगमेसाण वण्हिणो। जयंते विजए भद्दे, सुप्पभे य सुदंसणे । आणंदे नंदणे पउमे, संकरिसणे य अपच्छिमे ॥२॥ २५७. एएसि णं नवण्हं बलदेव-वासुदेवाणं पुव्वभविया णव नामधेज्जा भविस्संति, नव धम्मायरिया भविस्संति, नव नियाणभूमीओ भविस्संति, नव नियाणकारणा भविस्संति, नव पडिसत्तू भविस्संति, तं जहा तिलए य लोहजंघे, वइरजंधे य केसरी पहराए। अपराइए य भीमे, 'महाभीमे य सुग्गीवे ॥१॥ एए खलु पडिसत्तू, कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं । सव्वेवि' चक्कजोही, हम्मिहिंति सचक्केहि ॥२॥ एरवय-भावि-तित्थगर-पदं २५८. जंबुद्दीवे णं दीवे एरवए वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए चउवीसं तित्थकरा भविस्संति, तं जहा सुमंगले ‘य सिद्धत्थे", णिव्वाणे य महाजसे। धम्मज्झए य अरहा, आगमिस्साण होक्खइ ॥१२॥ सिरिचंदे पुप्फकेऊ, महाचंदे य केवली। सूयसागरे य अरहा, आगमिस्साण होक्खइ ॥२॥ सिद्धत्थे पुण्णघोसे य, महाघोसे य केवली। अरहा, 'आगमिस्साण होक्खइ ॥३॥ अरहा, महासेणे" य केवली । सव्वाणंदे य अरहा, देवउत्ते य होक्खइ ॥४॥ १. प० सू० २४१ । २. महाभीमसेणे य सुग्गीवे य अपच्छिमे (ग)। ३. सव्वेय (ग)। ४. सच्चकेणं (ग)। ५. अत्थ सिद्धे य (ग)। ६. अणंत विजए इय इय सूरसेणे महासेणे देवसेणे (ग)। ७. देवदत्ते (ग)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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