Book Title: Anekant 1993 Book 46 Ank 01 to 04 Author(s): Padmachandra Shastri Publisher: Veer Seva Mandir Trust View full book textPage 4
________________ 5. A MITHIR परमागमस्य बीजं निषिद्धजात्यन्धसिन्धुरविधानम् । सकसनविलसितानां विरोधमथनं नमाम्यनेकान्तम् ॥ वर्ष ४६ किरण १ वीर-सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२ वीर-निर्वाण संवत् २५१८, वि० सं० २०५० जनवरी-मार्च १९६३ ऐसा मोही क्यों न अधोगति जावं? ऐसा मोही क्यों न अधोगति जावे, जाको जिनवाणो न सुहावै ॥ वीतराग सो देव छोड़ कर, देव-कुवेव मनावे । कल्पलता, दयालता तजि, हिंसा इन्द्रासन बावं ॥ऐसा०॥ रचे न गुरु निर्ग्रन्थ भेष बहु, परिग्रही गुरु भाव। पर-धन पर-तिय को अभिलाष, अशन अशोधित खावै ॥ऐसा०॥ पर को विभव देख दुख होई, पर दुख हरख लहा। धर्म हेतु एक वाम न खरच, उपवन लक्ष बहावै ॥ऐसा॥ ज्यों गृह में संचे बहु अंघ, त्यों बन हू में उपजावै । अम्बर त्याग कहाय दिगम्बर, बाघम्बर तन छावै ॥ऐसा०॥ भारंभ तज शठ यंत्र-मंत्र करि जमपं पूज्य कहा। धाम-वाम तज दासी राखे, बाहर मढ़ो बनावै ॥ऐसा०॥Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 168