Book Title: Anekant 1949 07
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Jugalkishor Mukhtar

View full book text
Previous | Next

Page 19
________________ किरण १] कवि पद्मसुन्दर और दि० श्रावक रायमल्ल चौधरी रायमल्लकी वंश परम्परा अग्रोतान्वय-गोयलगोत्र चौधरी छाजू १ हाल्हा २ बूढणु ३ नरपालु ४ नरसिंघु ५ भोजा (पत्नी मदनाही) १ नानू २ ऋत्विचन्द . ३ सहणपालु (पत्नी ओढरही (पत्नी गाल्हाही २ रामाही) १ सुखमलु २ पहाड़मलु ३. जसमलु (पत्नी पोखणही) १ रायमल्ल भवानीदास (पत्नी माणिकही) (पत्नी १ ऊधाही २ मीनाही) १ अमीचन्द' २ उदैसिंधु ३ सालिवाहणु ४ धमदास ५ अनन्तदास (जेठमलही) : मेरे पूर्व लेखके पश्चात् पद्मसुन्दरजीका 'अकबर - तद्वत् साहि शिरोमणीकबरक्ष्मापालचूडामणेशाहि शृङ्गार दर्पण' ग्रन्थ बीकानेर राजकी गंगा ओरि- मान्याः पंडितपद्मसुन्दर इहाभूत् पंडित वातजित् ।। यन्टल सीरीजसे प्रकाशित हो चुका है उसमें आयेहुए कवि पद्मसुन्दरका अकबरसे कितना परम्परागत वर्णनके अनुसार इस प्रन्थका रचना काल प्रायः सं० एवं घनिष्ट सम्बन्ध था कवि ऋषभदास हीरविजय १६१७ (अर्थात् अकबरके राज्यारोहणके समयके लग- सरिरासमें आपके सम्बन्धमें अकबरके मुहसे भगका ही ) निश्चित होता है एवं मेरे विद्वान मित्र निम्नोक्त परिचय (हीरविजयसरिजी) को दिलमि. डा० दशरथ शमाने ग्रन्थकी लेखन प्रशस्तिके वाताहैनिम्नोक्त श्लोक द्वारा पद्मसुन्दरसे अकबरका सम्बन्ध कहि अकबर मा संयमी हेतो, पदमसुन्दर तरुनाम । परम्परागत' सिद्ध किया है अर्थात् अकबरका जैनधर्म चार ध्वजा धरतोपोसारमें, पंडित प्रति अभिराम । के प्रति आकर्षण उसकी बाल्यावस्था से ही सिद्ध ज्योतिष वैद्यक मां ते पूरो, सिद्धान्तीपरमाण । होता है, क्योंकि पह्मसुन्दरके प्रगुरुकासम्बन्ध बाबर अनेक ग्रन्थ तेणि पोते कीधा, जीती नहीं को जाण । और हुमायु के साथ पहले से चला आ रहा था। कालि ते पंडित पण गुदर्यो, अकबर कहि दुख थाइ । वह श्लोक इस प्रकार है: क्याकरि . न चले कछु हमका, एतो बात खुदाइ । . "मालो बाबर भूभुजोऽवजयराटू तद्वत् हुमाऊं नृपो .... अर्थात् पद्मसुन्दरके स्वर्गवाससे अकबरको ऽस्पर्थ प्रतीमनाः सुमान्यमकरोदानन्दरामाभिध बड़ा दुःख हुआ था और पद्मसुन्दरजी ज्योतिष आपके कथनानुसार तो प्रकवरके उदारता, दया, वैद्यक एवं सिद्धान्तके पूरे पण्डित थे उन्होंने अनेकों सर्वधर्म समभाव आदिकर गुणोंके विकाशमें इस जैन- ग्रन्थ बनाये और ४ ध्वजायें उनके आश्रमपर विद्वत्ता विद्वान्का परम्परागत सम्बन्ध भी कारण हो सकता है। सूचक फहराती थीं। Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44