Book Title: Anekant 1949 07
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Jugalkishor Mukhtar

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Page 30
________________ अनेकान्त [वर्ष 10 (2051) हैं / करीब 1 / / फुट ऊंची पद्मासन है। पाषाण का- सेठ दायामारू उनके पुत्र सुरद माल्ह-कलाम इन ला है। सबों ने संवत् 1207 के माघवदी को यह प्रतिमा लेख-सम्बत् 1211 फा................... भार्या . प्रतिष्ठित कराई। पापा तत्सुत साहु सीतल भार्या पाला नित्यं प्रणमन्ति / (नं० 50) भावार्थ-संवत् 1211 ( के फाल्गुन मास ) में दोनों तरफ इन्द्र खड़े हैं / चिन्ह वज्रदण्डका ........... पत्नी पापा उनके पुत्र साहु है। शिर नहीं है, वाकी सवाङ्ग सुन्दर है। करीब 2 सीतल उनकी पत्नी पालाने बिम्बप्रतिष्ठा कराई। फुट ऊंची खगासन है। पाषाण काला और चमक(नं०४८) दार है। मूर्तिका शिर नहीं है / दोनों हथेली छिलगई . लेख--संवत् 120 6 वैशाखप्नुदो 13 पोरपाटान्वये हैं / चिन्ह चकवाका मालूम होता है / करीब 1 // साहुकोके भार्या मातिणी साहु महेश भार्या सलखा। फुट ऊंची पद्मासन है / पाषाण काला है / पालिश भावाथः-पौरपाटवंशमें पैदा होनेवाले साहुचमकदार है। कोके उनकी धर्मपत्नी सलखाने सम्वत 1204 के लेख-संवत् 1237 अाग्रहल सुदी 3 शुक्र खंडिल्ल वैशाख सुदी 13 को बिम्बप्रतिष्ठा कराई। वालान्वये साहु वाल्हल भार्या बस्ता सत लाखना विघ्ननाशाय प्रणमन्ति नित्यम् / मूत्तिका सिर्फ आसन अवशिष्ट है, जो काफी भावार्थः-खण्डेलवालवंशमें पैदा होनेवाले चौड़ा है। परन्तु बीचसे टूट गया है। अतः जोड़कर साहु वाल्हल उनकी पत्नी बस्ता उसके पुत्र लाखना लेख लिया गया है। कुछ अक्षर उड़ गये हैं। चिह्न ने संवत् 1237 के अगहनसुदी 3 शुक्रवारको शेरका है। करीब 2 फुट ऊंची पद्मासनं है / पाषाण विघ्नोंके नाश करनेकेलिये इस बिम्बकी प्रतिष्ठा काला है / पालिश चमकदार है। कराई। लेख-सवत् 1203 आषाढ़ बदी 3 शुक्र श्रीवीर(नं० 46) वद्ध मानस्वामिप्रतिष्ठापिकः-गृहपत्यन्वये साहु श्रीउल्कण मूर्तिके आसनके अतिरिक्त बाकी हिस्सा नहीं .............."अल्हण साहु मातेण / वैश्यवालान्वये साहु है। चिन्ह बैलका है / वायां घुटना ढूढ़कर मिलाया वासलस्तस्य दुहिता मातिणा साहुश्रीमहीपती / ......" है। करीब 1 // फुट ऊंची पद्मासन है / पाषाण काल। भावार्थः-गृहपतिवंशमें पैदा होनेवाले साहुश्री और चमकदार है। उलकण"अल्हण तथा साहु मातने और वैश्यकुललेख-संवत् 1207 माघ वदी 8 मडवालान्वये में पैदा होनेवाले साहु वासल उनकी पुत्री मातणी साहुसेठ दायामारु तस्य सुत सुरदमाल्ह केलाम सर्वै प्रतिमा और साहुश्री महीपतिने संवत् 1203 आषाढ वदी 3 कारापिता। ___.. शुक्रवारको यह श्रीवर्द्धमान, स्वामीकी प्रतिमा प्रतिष्ठा भावार्थः-मडवालवंशमें पैदा होनेवाले साहु कराई। . (क्रमशः) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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