Book Title: Anekant 1949 07
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Jugalkishor Mukhtar

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Page 28
________________ २६ ******** लेख – सम्वत् १२१० वैशाख सुदी १३ गृहपत्यन्वये साहुसुलधस्य सुत..." भावार्थ:-सम्वत् १२१० के वैशाखसुदी १३ को गृहपति वंशोत्पन्न साहु सुलधर उनके पुत्र प्रतिष्ठा कराई। "ने अनेकान्त ( नं० ३= ) दोनों तरफ दो इन्द्र खड़े हैं। आसन और कुछ पैरोंके अतिरिक्त बाकी हिस्सा नहीं है । चिह्नको देखकर अरहनाथकी प्रतिमा मालूम होती है। करीब ३ फुट ऊँची खड्डासन है । पाषाण काला है। इस मूर्त्तिका धड़ मन्दिर नं० १ की दीवारमें खचित है, ऐसा नापसे मालूम होता है । लेख- ख - सम्वत् १२०६ गोलापूर्वान्वये साहु सुपट भार्या ग्रह तस्य पुत्र सान्ति पुत्र देल्हल अरहनाथं प्रणमन्ति नित्यम् । भावार्थ:- गोला पूर्व वंशोत्पन्न साहु सुपट उनकी पत्नी उसके पुत्र शान्ति तथा पुत्र देल्हलने इस बिम्बकी सम्वत् १२०६ में प्रतिष्ठा कराई । ( नं० ३६ ) मूर्त्तिका शिर और हथेलियोंके अतिरिक्त बाकी हिस्सा उपलब्ध है । चिह्न बैलका है। करीब दो फट पद्मासन है । पाषाण काला तथा चमकदार है । लेख - सम्वत् १२०३ माघ सुदी १३ वैश्यान्वे साहु सुपट भार्या गंगा तस्य सुतः साहु रासल पाल्हऋषि प्रण मन्ति नित्यम् । [ वर्ष १० लेख - सम्वत् १२३७ मार्ग सुदी ३ शुक्र गोला पूर्वान्वये साहु वाल्ह भार्या मदना वेटी रतना श्री ऋषभनाथं प्रणमन्ति नित्यम् । ( नं० ४० ) मूर्तिका शिर और आधे हाथोंके अतिरिक्त सब अङ्ग प्राप्य हैं चिन्ह है । करीब २ फुट ऊंची पद्मासन है । पाषाण काला है। पालिश चमक दार है । Jain Education International भावार्थ:- सम्वत् १२३७ के अगहन सुदी ३ शुक्रवारको गोलापूर्व वंशमें पैदा होनेवाले साहु वाह उनकी पत्नी मदना और उनकी पुत्री रतनाने श्री ऋषभनाथके प्रतिबिम्बकी प्रतिष्ठा कराई। ये सब नित्य प्रणाम करते हैं । ( नं० ४१ ) के के अतिरिक्त बाकी अंगोपांग नहीं हैं। आसन चौड़ा है । चिन्ह बैलका हैं । करीब २|| फुट ऊंची पद्मासन है । पाषाण काला तथा चमकदार है। लेख - गोलापूर्वान्वये साहुरासल तस्य सुत साहु मामे प्रणमन्ति । गृहपत्यन्वये साहुकेशच भार्या शान्तिणी साहु बाबण सुत माल्ह प्रणमन्ति । सम्वत् १२०३ गोलापूर्वान्वये साहुयाल्ह तस्य भार्या पल्हा तयोः पुत्र बछराऊदेव- राजजस बेवल प्रणमन्ति नियम् षाड़ सुदी २ सोमे । नाकाप प्रेषण गुमन में होनेवाले सुद उनकी धर्मपत्नी गंगा उनके पुत्र साहु रासल तथा तथा सम्वत् १२०३ के अषाढ़ सुदी २ सोमवारपाल्ह ऋषिने सं० १२०३ माघसुदी १३ गुरुवार को गोलापूर्व वंश में पैदा होनेवाले साहु याल्ह उनकी प्रतिष्ठा कराई । धर्मपत्नी पल्हा उन दोनोंके पुत्र बछराय देव- राजजसबेवल प्रतिष्ठा कराके प्रतिदिन नमस्कार करते हैं । भावार्थ:- गोलापूर्व वंश में पैदा होनेवाले साहु रासल उनके पुत्र साहु मामे दोनों प्रणाम करते हैं । तथा गृहपति वंश में पैदा होनेवाले साहु केशव उनकी धर्मपत्नी शान्तिी और साहु बाबरण उनके पुत्र माहने बिम्बप्रतिष्ठा कराई। ये सब प्रणाम करते हैं । नोट: - इस मूर्तिके प्रतिष्ठायक गोलापूर्व और गृहपति इन दो जातियो में पैदा होनेवाले तीन कुटुम्बके सदस्य हैं जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाईका द्रव्य लगाकर यह विम्ब निर्माण कराया । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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