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भट नामके अनेक विद्वान हुए हैं। उनमें अष्टाङ्गहृदय नामक वैद्यक ग्रन्थके कर्ता वाग्भट सिंहगुप्तके पुत्र और सिन्धुदेशके निवासी थे । नेमिनिर्वाण काव्य के कर्ता वाग्भट प्राग्वाट या पोरवाड़वंशके भूषण तथा छाइड़के पुत्र थे । और वाग्भट्टालङ्कार नामक ग्रन्थके कर्ता वाग्भट सोमश्रेष्ठी के पुत्र थे । इनके अति रिक्त वाग्भट नामके एक चतुथ विद्वान और हुए हैं जिनका परिचय देनेके लिये ही यह लेख लिखा जाता है।
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चतुर्थ वाग्भट्ट और उनकी कृतियां
[ लेखक -- पण्डित परमानन्द जैन शास्त्री ]
ये महाकवि वाग्भट नेर्मिकुमार के पुत्र थे; व्याकरण छन्द, अलङ्कार, काव्य, नाटक, चम्पू और साहित्य के मर्मज्ञ थे; कालीदास, दण्डी, और वामन आदि विद्वानोंके काव्य-ग्रन्थोंसे खूब परिचित थे, और अपने • समय के अखिल प्रज्ञालुओं में चूड़ामणि थे, तथा नूतन काव्य रचना करने में दक्ष थे । * इन्होंने अपने पिता
कुमारको महान् विद्वान् धर्मात्मा और यशस्वी बतलाया है और लिखा है कि वे कौन्तेय कुलरूपी कमलोंको विकसित करने वाले अद्वितीय भास्कर थे ।
* नव्यानेकमहाप्रबन्धरचनाचातुर्यविस्फूर्जितस्फारोदारयशः प्रचारसततव्याकीर्णविश्वत्रयः । श्रीमन्न े मिकुमार-सूरिरखिलप्रज्ञालुचूड़ामणिः। काव्यानामनुशासनं वरमिदं चक्रे कविर्वाग्भटः ॥
छन्दोनुशासनको अन्तिम प्रशस्ति में भी इस पद्य के ऊपर के तीन चरण ज्योंके त्यों रूपसे पाये जाते हैं। सिर्फ चतुर्थ चरण बदला हुआ है, जो इस प्रकार है—
'छन्दः शास्त्रमिदं चकार सुधियामानन्दकृद्वाग्भटः ।
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और सकलशास्त्रों में पारङ्गत तथा सम्पूर्ण लिपि भाषाओं से परिचित थे और उनकी कीर्ति समस्त - कुलोंके मान, सन्मान और दानसे लोकमें व्याप्त हो रही थी । और मेवाड़देशमें प्रतिष्ठित भगवान पार्श्वनाथ जिनके यात्रा महोत्सवसे उनका अद्भुत अखिल विश्व विस्तृत हो गया था । नेमिकुमारने राहडपुर में भगवान नेमिनाथका और नलोटकपुर में वाईस देवकुलकाओं सहित भगवान आदिनाथका विशाल मन्दिर बनवाया था + । नेमि कुमारके पिताका नाम 'मक्कलप' और माताका नाम महादेवी था, इनके राहड और नेमिकुमार दो पुत्र थे, जिनमें नेमिकुमार लघु और राहड ज्येष्ठ थे । नेमकुमार अपने ज्येष्ठ भ्राता राहडके परमभक्त थे और उन्हें आदर तथा प्रेमकी दृष्टिसे देखते थे । राहडने भी उसी नगर में भगवान आदिनाथ के मन्दिर की दक्षिण दिशामें वाईस जिन-मन्दिर बनवाए थे, जिस से उनका यशरूपी चन्द्रमा जगतमें पूर्ण हो गया था - व्याप्त हो गया था: ।
उनकी स्वोपज्ञ काव्यानुशासनवृत्तिमें आदिनाथ कवि वाग्भट्ट - भक्तिरस के अद्वितीय प्रेमी थे, नेमिनाथ और भगवान पार्श्वनाथका स्तवन किया
* जान पड़ता है कि 'राहडपुर' मेवाड़देशमें ही कहीं नेमिकुमारके ज्येष्ठ भ्राता राहडके नामसे बसाया गया 1 +. देखो, काव्यानुशासनटीकाकी उत्थानिका पृष्ट १ ÷ नाभेयचैत्यसदने दिशि दक्षिणस्यां ।
द्वाविंशति विदधता जिनमन्दिराणि । मन्ये निजाम्रजवर प्रभु राइडस्य । पूर्णीकृतो जगति येन यशः शशाङ्कः ।
काव्यानुशासन पृष्ठ ३४
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