Book Title: Anekant 1948 02
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Jugalkishor Mukhtar

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Page 51
________________ वीरसेवामन्दिरको सहायता (गत १२ वी किरणके बाद) २५) ला० होरीलाल नेमचन्दजी जैन, सरसावा (चि० प्रेमचन्दके विवाहकी खुशीमें निकाले हुए दानमेंसे) १०) ला. मेहरचन्द शीतलप्रसादजी जैन, अब्दुल्लापुर जिला अम्बाला (चि० सुपुत्रीके विवाहोपलक्षको खुशीमें) ५) मुख्तार श्रीजुगलकिशोरजीकी ७१ वीं वर्षगांठ _____ के अवसरपर निकाले हुए दानमें से प्राप्त . ४०) अनेकान्तको सहायता--- २५) ला० उदयराम जिनेश्वरदासजी सह पु की ओरसे ३ जैन संस्थाओं और दो जनेतरर . विद्वानोंको फ्री भिजवाने के लिये। १०) ला० होरीलाल नेमचन्दजी (चि० प्रेमचन्द . के विवाहकी खुशीमें निकाले हुए दानमें से) ११) बा० रामस्वरूपजी मुरादाबादके (चि० पुत्र की शादीकी खुशीमें निकाले दानमें से) ५) मुख्तार श्रीजुगलकिशोर जीकी ७१ वी वर्ष. गांठके अवसरपर निकाले दानमें से प्राप्त .. भारताय ज्ञानपीठ काशाके प्रकाशन १. महाबन्ध-(महाधवल सिद्धान्त शास्त्र प्रथम भाग। णिक रौमाँस) मूल्य ४॥) हिन्दी टीका सहित मूल्य १२) । ८. दो हजार वर्षकी पुरानी कहानियां-(६४ जैन २. करलक्खण -(सामुद्रिक शास्त्र) हिन्दी अनुवाद कहानियाँ) व्याख्यान तथा प्रवचनोंमें उदाहरण देनेयोग्य 2 सहित । हस्तरेखा विज्ञानका नवीन ग्रन्थ । सम्पादक-प्रो० पथचिह्न-(हिन्दी साहित्यकी अनुपम पुस्तक) स्मृति प्रफुल्लचन्द्र मोदी एम० ए०, अमरावती । मूल्य १) , रेखाएँ और निबन्ध । मूल्य २). ३. मदनपराज्य-कवि नागदेव विरचित (मूल संस्कृत) १०. पाश्चात्य तर्कशाख-(पहला भाग) एफ० ए० के भाषानुवाद तथा विस्तृत प्रस्तावनासहित । जिनदेवके कामके लाजिकके पाठ्यक्रमकी पुस्तक । लेखक-भिक्षु जगदीशजी पराजयका सरस रूपक । सम्पादक और अनुवादक-4० काश्यप, एम० ए०. पालि-अध्यापक, हिन्द विश्वविद्यालय राजकुमारजी सा० मूल्य ८) काशी । पृष्ट ३८४ । मूल्य ४||) ४. जैनशासन-जैनधर्मका परिचय तथा विवेचन करने ११. कुन्दकुन्दाचायके तीन रत्न-२)। . वाली सुन्दर रचना । हिन्दू विश्वविद्यालयके जैन रिलोजनके. १२. कन्नडप्रान्तीय ताडपत्र ग्रन्थसूची-(हिन्दी) मूडविाद्र एफ० ए० के पाठ्यक्रममें निर्धारित । कवर पर महावीरस्वामी के जैनमठ. जैनभवन. सिद्धान्तवसदि तथा अन्य ग्रन्थ का तिरंगा चित्र मूल्य ४-) भण्डार कारकल और अलियूरके अलभ्य ताड़पत्रीय ग्रन्थोंक .... हिन्दी जैन साहित्यका संक्षिप्त इतिहास-हिन्दी सविवरण परिचय । प्रत्येक मन्दिरमें तथा शास्त्रभंडारमें विरा जैन साहित्यका इतिहास तथा परिचय । २). जमान करनेयोन्य । १०) ६. आधुनिक जैन कवि-वर्तमान कवियोंका कलात्मक वीर सेवामन्दिरके सब प्रकाशन यहांपर मिलते है .. परिचय और सुन्दर रचनाएँ । मूल्य ३॥॥) -प्रचारार्थ पुस्तक मंगानेवालोंको विशेष सुविधा । ७. मुक्ति-दूत-अञ्जना-पवनञ्जयका पुण्यचरित्र (पौरा. .. भारतीय ज्ञानपीठ काशी, दुर्गाकुण्डरोड, बनारस। - Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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