Book Title: Anand Pravachan Part 05
Author(s): Anand Rushi, Kamla Jain
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

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Page 337
________________ स्वागत है पर्वराज ! एक फारसी के कवि ने कहा है जाहिर अज आमाले नेको पाक कुन । बातन अज हक्कुल यकीं बेबाक कुन || अर्थात् - हे जीव ! तू अपने बाह्यस्वरूप को शुभ कर्मों के द्वारा पवित्र कर और आन्तरिक भावों का दृढ़ श्रद्धा से उत्थान कर । Jain Education International ३१७ मानव जीवन के पावन उद्देश्य की पूर्ति इसी मार्ग से हो सकती है और जो ऐसा करेंगे, वे अपने जीवन को सफल बनाते हुए अनन्त सिद्धि हासिल कर सकेंगे । बस इतना ही कहकर मैं आज का प्रवचन समाप्त करता हूँ । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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