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स्वागत है पर्वराज !
एक फारसी के कवि ने कहा है
जाहिर अज आमाले नेको पाक कुन । बातन अज हक्कुल यकीं बेबाक कुन ||
अर्थात् - हे जीव ! तू अपने बाह्यस्वरूप को शुभ कर्मों के द्वारा पवित्र कर और आन्तरिक भावों का दृढ़ श्रद्धा से उत्थान कर ।
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मानव जीवन के पावन उद्देश्य की पूर्ति इसी मार्ग से हो सकती है और जो ऐसा करेंगे, वे अपने जीवन को सफल बनाते हुए अनन्त सिद्धि हासिल कर सकेंगे । बस इतना ही कहकर मैं आज का प्रवचन समाप्त करता हूँ ।
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