Book Title: Agarchand Nahta Abhinandan Granth Part 2
Author(s): Dashrath Sharma
Publisher: Agarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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चांदा वीरभदेवोतने अपना पोलपात्र बनाकर प्रदान किया था। यह तथ्य चुडा द्वारा राव चांदाकी प्रशंसामें कथित कवित्तोंमें अभिव्यक्त है
दीघ धरा दस सहस जरी पञ्च दूण सजामां । दोय दीघ दंताल नरिन्द कीघा जगनामां ।। सात दूण अस ववी साज सुवन्न बणावै । मोती आखा समण हाथ इण विध मंडावै ।। दधवाड़ कह घूहड़धणी, कमधज दालिद कप्पियौ । चंद री पोल रवि चंद लग थिर कव चूंडौ थप्पियौ ।।१॥ मेड़तिये मन मोट इला कीधी अखियातां । जावै नंह जसवास जुगां चहँवै ही जातां ।। दीघ कड़ा मूंदड़ा हेक मोताहलं माला । दीघ चंद नरिन्द दुझल वीरमदे वाला ॥ लाख कर दिया मोटे कमंघ चंदरा होय सो देवसी । सोह नेग तोरण घोड़ा सहत चूड रा होय सो लेवसी ॥२॥ सांमेलै हिक मोहर अनै सरपाव स बागो। हथले वै वर तह चौक हिक मोहर चौ भागो ।। सरे मोहर हिक सहत कड़ा मूंदड़ा करग्गां । अवर रीझ अणमाप बघेती खटतीस वरग्गां॥ वीरम तणा बीरे चूडा समै महपत थपै मंगणां । चंद कमंध दिया कव चूड नै जेता नेग आखंड इणां ॥३॥
अतः चुडा दधिवाडिया राव चांदा वीरमदेवोत मेड़तियाका पोलपात्र तथा आश्रित कवि था। चूडाको चांदाने दस हजार बीघा भूमि, मोहरें आदि देकर अपना पोलपात्र नियत किया था। चूडाने राव चांदाके चौदह पुत्रोका नामोल्लेख अपन एक छप्पयम किया है
पाट पति गोपाल' 'रामदास' तिम राजेसर । 'दयाल' 'गोइंददास' 'राघव' 'केसवदास' 'मनोहर' । 'भगवंत' 'भगवानदास' 'सांवलदास' अनै 'किसनसिंघ'। 'नरहरदास' 'बिसन' हुवौ चवदमो 'हरीसिंघ' ॥ चवदह कंवर चन्दा तणा एक-एक थी आगला ।
नव खंड नाँव करिवा कमंघ खाग त्याग जस ब्रम्मला ॥ चूंडाजी अपने युगके प्रतिष्ठा प्राप्त भक्त कवि थे। इनके रचित गुण निमंधा निमंध, गुण चाणक्य वेली, गुण भाखड़ी, और स्फुट कवित्त (छप्पय) उपलब्ध हैं। इन्हीं भक्त कवि चूडाके पुत्र रत्न माधवदास थे। माधवदास बलूदाके ठाकुर रामदासके पास बलूदाका बास उपग्राममें रहता था। यह ग्राम राव चांदा द्वारा प्रदत्त दस हजार बीघा भूमिमें आबाद किया गया था। माधवदासने गुण रासो और गजमोख नामक दो ग्रन्थोंका प्रणयन किया था। गजमोख छोटी-सी कृति है और रामरासो राजस्थानी का प्रथम महाकाव्य है । रामरासो जैसा कि नामसे ही प्रकट है मर्यादापुरुष श्री रामचंद्रपर सजित है। रामरासोका राजस्थानमें
भाषा और साहित्य : २२५
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