Book Title: Agarchand Nahta Abhinandan Granth Part 2
Author(s): Dashrath Sharma
Publisher: Agarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
View full book text ________________
घोड़ो जोण नहीं झेलै कंवर तेजाजी ! आंसूड़ा नाखै कायर मोर ज्यूं अणतोलो घी दीनो लीला रेवत ! कारज-री विरियां माथो धूणियो लीलै-नै धीरज दे रे छोरा चाकर का ! सखरो तो पिलाण रेवत पागड़ो घोड़ा पर जीण मांडो सूरा बळवंत ! सखरो पिलाणो रेवत पागड़ो दे दे ओ भंवर-बंदूक सुंदर गोरी ! ढाल तरवार दादाजी-रै हाथ-री महंदी हाथ भरया ओ कंवर तेजाजी ! दस्तो लागैला भंवर-बंदूक-रै लागै तो लागण दे ओ सुंदर गोरी ! सैणां-री सैनाणी साथै हालसी साथै तो ले र पधारो कंवर तेजाजी ! झगड़-रो विरियां धुड़लो ढाबसू लुगायां-रो काम नहीं आ सुंदर गोरी ! सूरा तो जूझसी कायर कांपसी लुळकर सात सिलाम ओ सूरज नारायण ! परतंग्या राखजो परण्यै स्याम-री डूंगर चढ हांक करी कंवर तेजाजी चुग-चुग मारया मीणा चोरटा ओ ओ डागळिये चढ़ जोय छोरी दासी !............. ' अवड़-छेवड़ गायां वैव लाछा गुजरी ! विच-में वैव गजबी घूमतो खोल फळसै-री खील ओ लाछां गूजरी! गिण-गिण मेल्हो बाळक वाछुड़ा गामां म्हारी सगळी आयी ओ कंवर तेजाजी ! गायां-रो मांझी आयो नहीं काणो केरडो के तो सूरज-रो सांड करती कंवर तेजाजी ! कै करती रथ-रो बैलियो आयो ज्यूं पाछो घिर ज्या लीला रेवत ! लोयां-री तिसायी लाछा गुजरी मारगिया-सूं दूर हो जा ओ राजा वासग ! लीलै-रै खां में चीथ्यो जावसी मुखड़े-सू बोल संभाल कंवर तेजाजी ! घोड़े सूधी कर देऊं देवली वचन देयर पधारो कंवर तेजाजी !....... कुण साख भरै ओ राजा वासग ! कुण तो कहीजै रिंद-में सामदी चांद-सूरज साख भरै ओ लीलै घोडै आळा ! रिंद-में सायदी खांडियो खेजड़ो म्हां पर महर करो ओ राजा वासग !....... बावन भैरू साथ मेलो रे राजा वासग ! जून तो खेड़े-री चौसट जोगण्यां गायां म्हारी सगली आयी रे मीणां चोरटा ! गायां-रो मांझी नहीं आयो काणो केरड़ो कै सूरज-रो सांड ......'कै रथ-रो बैलियो आयो ज्यू रे पाछो घिर जा रे लीलै घोड़े आळा ! घोड़ सूधी कर दू थारी देवळी काणो केरड़ो हाजर लावो रे चुग-चुग तो मारू मीणा चोरटा मुख-सूतो बोल संभाल कंवर तेजाजी ! बैनड़ रे-कहीजै पुतर अकलो कद-री बैन लागै रे मीणां चोरटां! कद तो दीनी बैनड़-नै कांचळी गंगाजी में बैन करी रे कंवर तेजाजी ! पुसकर-दी पैड्यां-में दोनी कांचळी
विविध : ३२५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384