Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 10
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 9
________________ आगमसुधासिन्धु भगवओ मणपज्जवणाणस्स अउमणमओ भगवओ कएवलण्आणस्स अउम्णम्ओ भगवतीए सुयदएंज्ञआए सिज्झर म्ए सआहिया (एसा मही)विज्जा अउम्णम्भी भगवो भउम्णम्भो भम् भउम्णभम्भी अम्भाउअम् अभाउअम् णमओ आऊभ. भिवत्तीलमखणं सम्मइंसणं उभम्णम्भो भदभार असईलभम्गामअग) सहस्साहि दिव्यस्स पईस्भमगामअग्गोणइण्णइथे आण पईसल्ल सयसैल्लगत्तण स. अण सम्बदम्वणिम्महण-परमनिवईकारस्म णं पवयणस्स परमपवितुत्तमस्सेति // सू०४॥ एसा विज्जा सिईतिएहिं अक्वरेहि लिविया, एसा य सिहंतिया लिवी अमुणियसमथसाभावायां सुयधरेहिण पण्णवेथव्वा नहय कुसीलागं च // 905 // इमाए पवरविज्जाए, सव्वहा उ अत्ताणगं / अहिमंतेमण सोविज्जा, खंतो तो जिरंदिभो ॥४॥णवरं सुहासुहं सम्म, सुविणगं समरधारए / तत्य सुविणगं(गे) पा.. से, तारिमग तंतहा भवे // 49 // जइणं सुंदरगं पासे,सुमिणगं तो इमं महा। परमत्यतत्तसारत्य, सल्लुद्धरणं मुणेतु यं। 50 // देज्जा आलोयण सुद्धं अठमथगणविरहिओ रं. जंतो धम्मतित्थयरे, सिद्धे लोगग्गसठिए // 51 // आयोएताण णीसल्लं, सामण्णोण पुणोविध / वंदित्ता चेहए साह, विहि-' पुवेण खमावर // 4 // स्वामिता पावसल्लम्स, निम्मूलुहरणं पुणो करेजा विहिपुवेण रंजंतो ससुरासुरं जग // 53 // एवं हो. ऊण निस्सल्लो, सबभावेण पुणरवि / विहिपुव्वं चेइए वंदे,खामें साहम्मिए नहा // 54 // नवर जण सम वुच्छो,जेहि सहिं पवि. हरिभो / स्वस्फरस चोइभो जहिं सर्यवा जो थ घोरभो॥५५॥ जोऽविध कज्जमकज्जे वा, भणिो खरमरुसनिठुरायडिभणियं जेगवी किंचि, सो.जह जीव जर मी // 56 // खमियलो

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