Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 10
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 13
________________ ONM (10) श्री आगभ सुधा सिन्धु दशौं विभाग 10] ___. श्री भागमसुधासिन्यु::: शामो विभागःग Pu // अणतेऽणाइकालेणं, जोधमा ! अन्तक्विथा / महो' / भही जाव सत्तमियं, भानदीसकसी गए / / 109 // गोथमऽणते चिठंति जे, अणादिए ससल्लिए / नियभावदोस सल्लागं, भुंजते विरसं फलं // 10 // चिरइम्संति अज्जावितेस. लेण सोललाए / अणंतथि अणारायं कालं, तम्हा सल्लं नधारए // 1 // स्वयं मुणित बेमि। गोथम! समणी यो संस्था जाओ निस्कलस-नीसल्ल-विसुर सुद्ध-निम्मल-वयणमाणसाभी अज्मप्यनिसोहीए आलोक्ताण सुपारफुड नीसंकं निः खिलं निरवयवं नियदुच्चरियमाश्यं सत्वंपि भावसल्लं अहारिहंतवोकम्मं पायरितमणुचरित्ताणं निखोय-पाव. कम्ममल-लेवकलंकाओ उम्पन्नदिवबर केवलणाणाओ महाणुभागा(वाओ महायसाओ महासत्तसंपन्नाभी सुह. यनामधेयाओ अतुत्तमसोकस्वमोक्वं पत्ताभो // 6 // कासिंचि गोथमा! नामे, पुन्नभागाण साहिमो / जा. सिमालोयमाणीण, उध्यण्ण समणीण केवलं ॥२॥हाहाहापा. वक्रम्माहे, पावा पानमती अहं ! पाविदवाणपि पावरा, दहा दरिठ चितिमो हाहाहा इत्थिभावं मेनानिह जंमे वित्यिं / तहावी णं धोरनीगं, कई तवसंजमं धरं // 14 // गणतयावरामीभी, संमिलिथाओ जया भवे / तझ्या इत्थितणं लभे सुद्ध पानाण कम्मुगा // 11 // पंगत्यपिंडीभूताणं, समुदथे तणुतं तंह। करेमि जहन पुणो, इत्थीह होमिकेवली 46 // दिट्टीएविवसं. डामि, सीलं ह समणिकवली / हाहा मणेण मे किंपि, अहटवुहइटं विचिंतियं // 117 // तमालोइत्ता लडंसुदिगिण्हे समणिकेनली। दळूण मज्झलावण्णं, कंतिदिति सिरि॥१॥ मा परपयंगाहमा जंतु, खयमणसणसमणी य केवली / वातं मोत्तूण नो अन्नो, निमा(छियं मह तणु छिवे॥९॥छक्का. यसमारंभ, न करेऽहं समणिकेवली। पोग्गलकम्बोसगुन्झंतं.

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