Book Title: Agam 44 Nandi Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ आगम सूत्र ४४, चूलिकासूत्र-१, 'नन्दीसूत्र' सूत्र - १०६ -अनुमान, हेतु और दटान्त से कार्य को सिद्ध करने वाली, आयु के परिपक्व होने से पुष्ट, लोकहितकारी तथा मोक्षरूपी फल प्रदान करनेवाली बुद्धि पारिणामिकी है। सूत्र - १०७-१०९ अभयकुमार, सेठ, कुमार, देवी, उदितोदय, साधु, नन्दिघोष, धनदत्त, श्रावक, अमात्य, क्षपक, अमात्यपुत्र, चाणक्य, स्थूलभद्र, नासिक का सुन्दरीनन्द, वज्रस्वामी, चरणाहत, आंबला, मणि, सर्प, गेंडा, स्तूपभेदन-यह सब पारिणामिक बुद्धि के दृष्टान्त हैं। सूत्र - ११० यह हुआ अश्रुतनिश्रित मतिज्ञान । सूत्र - १११ श्रुतनिश्रित मतिज्ञान कितने प्रकार का है ? चार प्रकार का-अवग्रह, ईहा, अवाय और धारणा । सूत्र - ११२ -अवग्रह कितने प्रकार का है ? दो प्रकार से है। अर्थावग्रह, व्यंजनावग्रह । सूत्र-११३ -व्यंजनावग्रह कितने प्रकार का है ? चार प्रकार का है । श्रोत्रेन्द्रियव्यंजनावग्रह, घ्राणेन्द्रियव्यंजनावग्रह, जिह्वेन्द्रियव्यंजनावग्रह और स्पर्शेन्द्रियव्यंजनावग्रह । सूत्र - ११४ -अर्थावग्रह कितने प्रकार का है ? छह प्रकार का-श्रोत्रेन्द्रियअर्थावग्रह, चक्षुरिन्द्रियअर्थावग्रह, घ्राणेन्द्रियअर्थावग्रह, जिह्वेन्द्रियअर्थावग्रह, स्पर्शेन्द्रियअर्थावग्रह और नोइन्द्रियअर्थावग्रह । सूत्र-११५ -अर्थावग्रह के एक अर्थवाले, नाना घोष तथा नाना व्यञ्जन वाले पांच नाम हैं । यथा-अवग्रहणता, उपधारणता, श्रवणता, अवलम्बनता और मेधा । सूत्र-११६ ईहा छह प्रकार की, श्रोत्रेन्द्रिय-ईहा, चक्षुइन्द्रिय-ईहा, घ्राणइन्द्रिय-ईहा, जिह्वाइन्द्रिय-ईहा, स्पर्शइन्द्रिय-ईहा और नोइन्द्रिय-ईहा । ईहा के एकार्थक, नानाघोष और नाना व्यंजन वाले पाँच नाम हैं-आभोगनता, मार्गणता, गवेषणता, चिन्ता तथा विमर्श । सूत्र - ११७ -अवाय मतिज्ञान कितने प्रकार का है ? छह प्रकार का, श्रोत्रेन्द्रिय-अवाय, चक्षुरिन्द्रिय-अवाय, घ्राणेन्द्रियअवाय, रसनेन्द्रिय-अवाय, स्पर्शेन्द्रिय-अवाय, नोइन्द्रिय-अवाय । अवाय के एकार्थक, नानाघोष और नानाव्यंजन वाले पाँच नाम हैं- आवर्तनता, प्रत्यावर्तनता, अवाय, बुद्धि, विज्ञान । सूत्र-११८ धारणा छह प्रकार की, श्रोत्रेन्द्रिय-धारणा, चक्षुरिन्द्रिय-धारणा, घ्राणेन्द्रिय-धारणा, रसनेन्द्रिय-धारणा, स्पर्शेन्द्रिय-धारणा, नोइन्द्रिय-धारणा । धारणा के एक अर्थवाले, नानाघोष और नाना व्यंजन वाले पाँच नाम हैंधारणा, साधारणा, स्थापना, प्रतिष्ठा और कोष्ठ । सूत्र-११९ अवग्रह ज्ञान का काल एक समय मात्र का है । ईहा का अन्तर्मुहूर्त, अवाय भी अन्तर्मुहूर्त तथा धारणा का काल संख्यात अथवा असंख्यात काल है। मुनि दीपरत्नसागर कृत्-(नन्दी) आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद" Page 15

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28