Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Part 02 Author(s): Kunvarji Anandji Shah Publisher: Kunvarji Anandji Shah Bhavnagar View full book textPage 9
________________ त्यां ब्राह्मणोए मुनिनी हांसी करी भिसानो निषेध कर्यो. ते वस्वते तिदुक नामना ते मुनिना भक्त यच्चे मुनिना शरीरमा प्रवेश करी घणी रीते समजाववा पूर्वक भिक्षानी याचना की, तोपण ब्राह्मणोए भिक्षा पापी नहीं. परंतु उलटा ते पुरोहितना विद्यार्थीमोए मुनिनी कदर्थना करी तेथी यो तेमने शिक्षा करी, ते जोइ भय पामेलो पुरोहित पोतानी भार्या भद्रा के जे राजपुत्री हती अने ते मुनिना प्रभावने सारी गते जागती हती तेना कहेवाथी मुनिने शरणे गयो. मुनिए तेने भावयनन स्वरूप बतावी उपदेश पापी धर्म पमाडयो. विगेरे हकीकत घगा विस्तारथी पापी धर्म, रहस्य बताव्युले. अध्ययन १३ पान २४२-तप पण नियागा रहित करवानो के, तेथी नियाणानो दोष बताक्वा माटे चित्र भने संभूत मुनिनी l कथा आपी छे. तेमा भनमानि नपर्ने निया की नहादन नागना चक्रवर्ती थया भने चित्रमुनिए निया फयु नहीं तेथी तेगो महेभ्य पुत्र थइ जातिस्मरण ज्ञान पामी चारित्र प्रदा कयु. पली चक्रवर्तीने पगा संगीत पूर्वक नाटक जोतां जातिस्माण थयु, तेथी पोताना पूर्व जन्मना माइनी शोध करवा दोढ लोकवाळी समस्या पूर्ण करवा हमेशा आघोषणा कराववा भाग्या. छेवट ते मुनि मळ्या. तेमने चक्रवतीए भोग भोगवबा घणी विनंति करी, परंतु ते मुनिए भोग तो अंगीकार न कर्या, पण चक्रीने धर्मविषे घणो उपदेश प्राप्यो, समद्धिनी तुच्छता, संसारनी अनित्यता, कर्मना उदयनी उपसा विगेरे बतावी घणी रीते समजाव्या, तोपगा चक्रवर्ती पूर्वभवना नियागावाला होवाने लीधे प्रतिबोध पाम्या नहीं. छेवट ते मरीने नाके गया भने मुनि मोशे गया. अामा बन्नेनो संवाद घणो बोधदायक छे. अध्ययन १४ पान २७५ मा अध्ययनमां पण नियाणा रहितनो गुण बतावबा माटे नलिनीगुल्म नामना विमानमाथी च्यत्रीने छ जीवो जूदे जदे ठेकाणे उत्पन्न थया छे. इधुकार राजा १, तेनी राणी कमलावती २, तेनो पुरोहित भग ३, तेनी पत्नी यशा १,Page Navigation
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