Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 02 Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha View full book textPage 9
________________ चतुर्विश- तिस्तव व्याख्या ॥ ७ ॥ परिजमति, एवं अजीवाणवि पसत्थो अपसत्यो य विभासितब्बो, जथा कालो पोग्गलाण परिणममाणो य २ कालकर जीहतूण नीलजो होति एवमादी, मोवि श्वेतलक्षणेन लोक्कति । तस्स लोगस्म एगद्विताणि आलोक्कती पसोक्कति०१०६९ ।। गाथा | विमासितव्या वंजणपरिपावण्णा एस लोगो सम्मत्तो। . इवाणि उज्जोतो, उद्योतनं उद्योतः,सो दुविहो-दग्नुज्जोतो अग्गिमादि,अहवा ये लोगिया विमंगणाणिणो सव्वाणि करता। परमति विमल करेंति । अप्पणएण य पत्तियायेंति, एस दबुज्जोतो । नाणं, जथा जिषेहि मणितं तहेब जेण उवलन्भति, कह माज्जा जतो जहा ते महापाचावे सताउने मवति तदा भावज्जोतो भवति, उवउत्तो मावोनिकातुं, मावो य सो | उज्जोतो य भावुज्जोयो,जण भणितं नाणं पगासगंति,बह जदिणाणं पगासय घडपडादी पगामेति एवं चंदादिनावि घडपडादी पगासेति तेण ते किस भावुज्जोनो', उच्यते, चंदादिश्चा घडपडादीण स्वगंधे पगासयंति, गुरुलहुवाणि दवाणि, णाणं पुण अडविईपि लोग पगासेति अरूविदष्वाणिवि, दृश्यन्ते च निमित्तगणियजोनिसेहिं पच्चक्खं मावा,तेण सिद्ध नाणं मावुओतोत्ति। आह-किं ते बहुगा तो भणह मावुज्जोतकरति 1, उच्यते-नणु मए पुच्चं भणितं चउरीसाए अघिमारोत्ति, एत्व जिणवरा माधुज्जोतं करोति, जतो तबदेसणं तं नाणं भवति जेण लोगो तथा पयासिज्जा, किंव-दम्युजीतमाचुजोताण इमं अंतरं दवु-18 ज्जोतो.॥१.७३|| उज्जोनो सम्मत्तो। * इवाणि धम्मो, धर्मः स्थितिः समयो व्यवस्था मर्यादेत्यनान्तर, सो दुविदो-दष्वधम्मो मावधम्मो य, दव्वधम्मो धम्म-12 | स्थिकायो वा जस्स दव्वस्म भावो सो दन्बधम्मो, मावधम्मो सुयधम्मो परिनधम्मो य, सुयधम्मो समायो, चरित्तधम्मो समण ॥७॥Page Navigation
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