Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 02
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 12
________________ NeCG चतुर्विशतिस्तव चूणौँ ॥१०॥ लोकसीर्थकामान्वयः शम्दार्थः + ग्गेहि सामण्णं, विसेसो पतै रमति पुष्वं राया जिणयाइओ गम्भ आभूत माता जिणति सदावित्ति तेण अक्खसु अजितत्ति | अजितो जातो २ र भरे सामण दोषीसराति सा झुणि संभवति अतिमया गुणा य, विसेसो अन्भधिया सासाणं सह जातत्ति ३ अभिणंदणे अभिमुहा अभिमुख्ये 'दुनदि-समृद्घा अहवा सव्वेवि देबेहिं आणदिया,विससेणं मगवतो माया गम्भगए। सर्वेषामेव शोभना मतिरम्य सुमतिः, विसेसो गम्भगते भट्टारए माताए दोहं सवचीणं छम्मासितो ववहारो छिण्णो-एत्य असोगवरपादवे एस मम पुत्ती महामती छिदिहिति, ताए जावत्ति मणिताओ, इतरी भणिति एवं होतु, पुत्तमाता णेच्छनित्ति णातूर्ण छिण्णो एतस्स गम्भगतस्स गुणणंति सुमती जातो ५ सच्चे पउमगम्भसुकुमाला, विसेसओ पउमगम्भगोगे, पउममयणीयदोहलोचि ६ सयेमि सोमणा पामा तित्यकरमातूर्ण च, विसंसो माताए गुब्बिणीए सोमणा पासा जातत्ति, पढमं विकुक्षिया आसी७ सामण्णं सब्चे चंद इस सोमलेसा, विसेसो चंदपियणमि दोहलो चंदामो यत्ति ८ सामण सम्बे सव्वविघीसु णाणायासु कृसला, विसेसो माताए अनीव कोमल जानं गम्भगते ९सामण्णं सीतला अरिस्स मित्तस्स का, विसेसोवि पुणो दाहो जाता ओसहेहिं न पउणति, देवीए परामटे पउणो १० सामण सम्ने सेया लोक, अहवा तेण निवर्तितसरीरा, पिसेसो तस्स रण्णो परंपरागता सेज्जा देवताए परिग्गहिता अच्चिन्जंनि अच्छति, न कस्सत्ति ढोकं देति, देवीए गम्भगते दोहलो, तं सेज्जं विलग्गा, देवता रडितूण | पलाता, तेण सेज्जंसो ११ वमू-देवा वासवो इंदो तेण मवेवि अभिगच्छितपुवा, विसेसेण इमोत्ति, अहवा चमूणि-रयणाणि वासबोवेसमणो सो वा अभिगच्छति १२ मामष्णं सच्चे विमलमती, विसेसो माताए सरीरं अतीवविमलं जातं बुद्धी तत्ति १३ सामणं सव्वेहि कम्म जित, विसेसो माताए सुविणए अणंत महंत रतणचितं दाम दिई अंतो से नत्यि तेण अर्णतई, वितिय से नाम १४ सर्वेऽपि ॥१०॥

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