Book Title: Agam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 5
________________ पाहार बाहरिए गोपमा ! नोषणठं समठे सफेणठण ते! एवं पुच्चइ जीवेंण गनगएसमाणे नोपजमुहेर्ण कातिय खार छाहारिमा गापमा । जीषण गनगएसमाणे सहन्थाहारेइ सम्परिणामेइ सधकससह सहनी एस छारपछाहर निस्कपपरिणामइ थनि०कससइ थन्निनीससह शाहवशाहारेइ थाइचपरिणा माम खासमास माऊरजीवरसहरणी पाजीवरसहरणीमाउलीयपरियठा पन्तजीवफका तम्हा सासार समहापरिणामह शववियण पुन्लजोधपक्षियक्षा माउजीयफुठा तम्हाविणाइ तम्हाउविचिणाई स एपूर्ण गापमा । एवमा जीषण गनगएसमार्ण नोपमुझेण कायलिय थाहारं याहारितए जीवेणं गनगए समापाठमाहारथाहापगो० जसेमायामाणाविहाठरसधिगइसतिप्तफावकसायविछमझराइवद्याईयाहारेख सदसण यमाहा सस्सफठघिठसरसाउप्पउनासोदमानयइ नानीरसहरणीए आणणीपसमाइ तानिएफ एपठामानीएसी गलगंधर्यवाईय इथयतीस्ठय एनीपगसोवियतइ जावजाउविकसना माउथयार पराठा ? गोपमा उमाउगा पखष्ठा तंजहा मंससोणिए मबुलुगे फइर्ण नपिउथंगा पलसानो ___ पE पापिउधंगा प तंजड़ा शहियष्ठिमिंजा कसमंसुरोमनहा जीवणं जता गनसँगऍसमापनरऐसे | उशिकागोसमयत्यगई उजियस्येगई नी, उपजिजा सकेणठणनते । एवं खुशह जीवे

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