Book Title: Agam 17 Chandpannatti Uvangsutt 06 Moolam Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Agam Shrut Prakashan View full book textPage 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 11931-13 ॥१४॥14 ||१६||-16 ॥१७/-17 पाउं.१, पाहुम्पाहु-१ (१३) पडिवत्तीओ उदए तह अत्यमणेसु य भेयधाए कण्णकला महत्ताणगईइय (१४) निक्खममाणे सिग्धगई पविसंते मंदगईइ य चूलसीइसयं पुरिसाणं तेसिं च पडिवत्तीओ (१५) उदयम्मि अट्ठ भणिया मेयधाए दुवेयपडिवत्ती चत्तारिमुहुत्तगईए हुंति तइयम्मि पडिवत्ती ||१५||-15 सितंबोधे पाहुडे पाहुइ पाहुड पटिवत्ती संखा ।।। (१६) आवलिय मुहत्तागे एवंभागा य जोगसा कुलाई पुत्रमासी य सण्णिवाए य संठिई तारगागं च नेया य चंदमागत्ति यावरे देवताण य अज्झयणे मुहुत्ताणं य नामयाइय (१८) दिवसा राइ वुत्ता यतिहि गोत्ता मोयणाणिय आइन्च-चार मासा य पंचसंवच्छराइय ॥१८॥-18 (१९) जोइसस्स य दाराई नक्खत्तविजएहि य समे पाहुडे एए बावीसं पाहुडपाहुडा ||१९|-19 सित्तं दसमे पाहुई पाहुइ पाहुइ संखा]-141 (२०) तेणं कालेणं तेणं सपएणं मिहिला नाम नयरी होत्या रिद्धस्थिमिय-समिद्धा वण्णओ तीसे णं पिहिलाए नयरीए उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए एत्य णं माणिमद्दे नामं चेइए होत्या-चिराईए यण्णओ तीसे णं मिहिलाए नयरीए जियसत्तू नामं राया धारिणी नामं देवी वण्णओ तेणं कालेणं तेणं समएणं तम्मिमाणिभद्देचेहए सामीसमोसढे परिसानिग्गया धम्मो कहिओपरिसापडिगया। (२१) तेणं कालेणं तेणं सपएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूती नाम अणगारे गोयमे गोत्तेणं सत्तुस्सेहे जाव पजुवासमाणे एवं वयासी-1७1-2 (२२) ता कहं ते धड्ढोवुड्ढी मुहुत्ताणं आहितेति वएज्जा ता अट्ट एगूणवीसे मुहत्तसए सत्तावीसंच सठिमागे मुहत्तस्स आहितेति वएजा।८।१ (२३) ता जया णं सूरिए सव्वब्यंतराओ मंडलाओ सव्वबाहिरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ सवबाहिराओ वा मंडलाओ सव्वदभंतरं मंडलं उवसंकपित्ता चारं चरइ एस णं अद्धा केवइयं राइंदियग्गेणं आहितेति वएज्जा ता तिणि छावढे राइंदियसए राइंदियणेणं आहितेति वएजा। (२४) ता एयाए णं अद्धाए सूरिए कई मंडलाइं चरइ ता चुलसीयं मंडलसयं चाइ-बासीतं मंडलसयं दुक्खुत्तो चरइतंजहा-निकखममाणे चेय पविसमाणे चेव दुवे य खलु मंडलाइंसइंचरइतं जहा-सव्वटमंतरंचेवमंडलं सव्ववाहिरंचेव मंडलं 1901-10 (२५) जइ खलु तस्सेव आदिचस्स संवच्छरस्स सई अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ सई अट्टारसमुहुत्ता राती भवति सई दुवालसमुहुत्ते दियसे भवइ सई दुयासमुहुत्ता राती भवति पदमे छम्मासे अत्यि अद्वारसमुहता राती भवति नस्थि अद्वारसमुहुत्ते दिवसे अत्यि दुवालसमुहुत्ते दिवसे नत्थि दुवालसमुहुत्ता राती दोचे छम्मासे अस्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसेनस्थि अद्वारसमुहुत्ता राती अस्थि दुवालसमुहुत्ता राती नत्थि दुवालसमुहत्ते दिवसे पढमे या छम्मासे दोचे वाछम्मासे नस्थि पत्ररसमुहुत्ते दिवसे भवति नस्थि पन्नरसमुहत्ता राती भवति तत्य णं को हेतूति वएज्जा ता अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74