Book Title: Agam 17 Chandpannatti Uvangsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चंदपन्नती - १|३४ जोयणसस्स बाहलेणं नवणउतिं जोयणसहस्साइं छच्च चत्ताले जोयणसए आयाम-विस्खंभेणं तिणि जोयणसयसहस्साई पत्ररस य सहस्साई अउणाउतिं च जोयणाई किंचिविसेसाहियाई परिक्खेवेणं तया ण उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जहणिया दुवालसमुहुत्ता राती भवति एसणं दोचे छम्मासे एसण दोचस्स छम्मासस्सपज्जवसाणे एसणं आदिच्चे संवच्छरे एस णं आदिच्चस्स संबच्छरस्त पञवसाणे ता सव्वाविणं मंडलवता अडतालीसं एगहिभागे जोयणस्स चाहल्लेणं सव्वावि णं मंडलंतरिया दो जोयणाई विक्खंभेणं एस णं अद्धा तेसीयसयपडुप्पण्णो पंचदसुत्तरे जोयणसए आहिताति वएजा ता अमितराओ मंडलवताओ बाहिरा मंडलवता वाहिराओ वा मंडलवताओ अमितरा मंडलवता एसणं अद्धा केवतियं आहितेति वएजा ता पंचदसुत्तरे जोयणसए अडतालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आहितेत्ति वएज्जा ता अभंतरओ मंडलवताओ बाहिरा मंडलवता बाहिराओवामंडलवताओअध्यंतरा मंडलवता एसणं अद्धा केवतियं आहितेति वएना ता पंचणवुत्तो जोरणसए तेरस य एमटिभागे जोयणस्स आहितेति वएज्जा ता अभितराए मंडलवताए बाहिरा मंडलवता बाहिराए वा मंडलवताए अन्मिंतरा मंडलवता एसणं अद्धा केवतियं आहितेति वएजा तापंचदसुत्तरे जोयणसएआहितेतिवएज्जा ।२०|-20 पढमे पाहडे अदमाहा पाहुइं समत्तं पढ़म पाहई समतं. बीयं पाहुई -: पमं पाहुपा हु :(३५) ता कहं ते तिरिच्छगती आहिताति वएज्जा तस्थ खलु इमाओ अट्ठ पडिवत्तीओ पन्नत्ताओतत्य एगेएवमाहंसु-तापुरस्थिमाओ लोयंताओ पादोमिरीची आगासंसि उत्तिइसे णं इस तिरियं लोयं तिरियं करेइ करेत्ता पञ्चस्थिमंसि लोयंतसि सायं मिरीयं आगासंसि विद्धंसइ-एगे पुण एवमाहंसु तापुरस्थिमाओ लोयंताओपादो सूरिए आगासंसि उत्तिइ से णं इमं तिरिवं लोयं तिरियं करेइ करेत्ता पञ्चस्थिमंसि लोयंतसि सार्य सूरिए आगासंसि विद्धंसइ-एगे पुण एवमाहंसुता पुरस्थिमाओ लोयंताओ पादो सूरिए आगासंसि उत्तिहइ से णं इमं तिरिय लोयं तिरिय करेइ करता पञ्चत्थिपंसि लोयंतंसि सायं सूरिए आगासं अनुपविसइ अनुपविसित्ता अहे पडियागच्छइ पडियागछित्ता पुनरवि अवरभूपुरस्थिमाओ लोयंताओ पादो सूरिए आगासंसि उत्तिट्ठइ-एगे पुण एवपाहंसु-ता पुरस्थिपाओ लोयंताओ पाओ सूरिए पुढविकायंसि उत्तिइ से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ कोत्ता पच्चस्थिमिल्लसि लोयंतंसि सायं सूरिए पुढविकायंसि विद्धंसइ-एगे पुण एवमाहंसुस्ता पुरस्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए पुदविकासि उत्तिटुइ से णं इमं तिरिय लोयं तिरियं करेइ करेत्ता पचत्थिमंसि लोवंतसि सायं सूरिए पुढविकार्यसि अनुपविसइ अनुपविसित्ता अहे पडियागच्छइ पडियागच्छित्ता पुनरवि अवरभूपुरस्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए पुढविकायंसि उत्तिहइ-एगे पुण एवपाहंसु-ता पुरथिमिल्लाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आउकासि उत्तिहइ सेणंइमं तिरियंलोयं तिरियं करेइ करेत्ता पञ्चस्थिमंसि लोयंतंसि पाओसूरिए आउकार्यसि विद्धंसइएगे पुण एवमाहंसु-ता पुरस्थिमाओ लोगंताओ पाओ सूरिए आउकायंसि उत्तिट्ठइ से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ करेत्ता पञ्चत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए आउकायंसि अनुपविसइ अनुपविसित्ता अहे एडियागच्छइ पडियागछिता पुनरविअवरभूपुरस्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आउकायंसि उत्तिहुइ-एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरस्थिमाओ लोयंताओ बहूई जोयणाई बहूई For Private And Personal Use Only

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