Book Title: Agam 17 Chandpannatti Uvangsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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(८५)
||२६||-2
चंदपन्नत्ती - १०/२०१७९ - वी स इमपा हुआ पा हु :(७९) ता कतिणं संवच्छरा आहिताति वदेज्जा तापंच संवच्छरा आहिताति वदेना तं जहानक्खत्तसंवच्छरे जुगसंवच्छरे पमाणसंवच्छरेलखणसंबच्छरे सणिच्छरसंवच्छरे।५४|-54
(८०) ता नक्खत्तसंवच्छरेणंदुवालसविहे पन्नत्ते तं जहा-सावणे भद्दवए जाव आसाढे जंवा वहस्सतीसहग्गहे दुवालसहि संवच्छरेहिंसव्वं नक्खत्त-मंडलं समाणेति।५५1-55
(८१) ता जुगसंवच्छरे णं पंचविहे पत्रते तं जहा-चंदे चंदे अभिवढिए चंदे अभिवविए चेव ता पढमस्स णं चंदसंबच्छरस्त चउब्बीसं पवा पत्रत्ता दोच्चस्स णं चंदसंबच्छरस्स चउव्वीसं पव्वा पत्रत्ता तच्चस्स णं अभिवढियसंच्छरस्स छब्बीसं पव्या पत्रत्ता चउत्थस्स णं चंदसंवच्छरस्स चउव्वीसं पव्या पन्नत्ता पंचमस्स णं अभिवदिय संवचारस्स छच्चीसं पव्वा पत्रत्ता एयामेव सपुवावरेणं पंचसंवच्छरिए जुगे एगे चउवीसे पव्वसते भवतीति मक्खायं ।५६।-56
(८२) तापमाणसंवच्छरेणं पंचविहे नक्खत्तेचंदे उडू आइचे अभिवढिते।५७:57
(८३) ता लक्खणसंबच्छरे णं पंचविहे पन्नत्तै तंजहा-नक्खत्ते चंदे उडू आइच्चे अभिवढिते ता नक्खत्तसंवच्छरे पंचविहेपत्रत्ते तं जहा] 1५८-9458-1 (८४) समग नक्खत्ता जोयंजोएंति समग उडू परिणमंति नचुहं नातिसीते बहूदओ होति नक्खत्ते
॥२५॥1 ससि समग पुनिमासि जोएंति विसमचारिणखत्ता कडुओ बहूदओ व तमाहुं संवच्छरं चंदं विसमं पवालिणो परिणति अनुऊसु दिति पुष्फफलं वासं न सम्म वासति तपाहुं संवच्छरं कामं पुढविदगाणं चरसं पुप्फफलाणं च देइ आइच्चे
अप्पेणवि वासेणं सम्म निष्फनए सस्सं (८८) आइच्चतेयतविया खणलवदिवसा उडू परिणमंति रेति निण्णधलए तमाहु अभिवढिय जाण
||२९|1-5 (८९) तासणिच्छरसंवच्छरेणं अट्ठावीसइविहे पन्नतेतंजहा-अभीईसवणे जाव उत्तरासादा जंवा सणिच्छरे महग्गहे तीसाए संवच्छरेहिं सव्वं नक्खत्तमंडलं समाणेइ1५८1-58
दसमे पाहुड़े वीसइभ पाहुइपाहुडंसपतं.
- ए क्क वी स इ मंपा हु ड पा हुई:(९०) ता कहं ते जोतिसस्त दारा आहिताति वदेजा तत्य खलु इमाओ पंच पडिवत्तीओ पनत्ताओ तत्धेगे एवमाहंसु-ता कत्तिवादिया णं सत्त नक्सत्ता पुन्यादारिया पन्नत्ते-एगे पुण एवमाहंसु-ता महादिया णं सत्त नखत्ता पुव्यदारिया पत्रत्ता-एगे पुण एवमाहंसु-ता धमिट्ठादिया णं सत नरवत्ता पुवदाहिया पन्नत्ता-एगे पुण एवमाहंसुता अस्सिीयादिचा णं सत्त नवखत्ता पुव्वदारिया पन्नत्ता-एगे पुण एवमाहंसुता भरणीयादिया णं सत्त नक्खत्ता पुवदारिया पत्रता-तत्य जेते एवमाहंसुता कत्तियादिया णं सत्त नक्खत्ता पुव्वदारिया पन्नता ते एवमाहंसुतं जहा-कत्तिवा रोहिणी संटाणा अद्दा पुणव्वा पुरसो अरसेसा महादिया णं सत्त नबत्ता दाहेिगदारिया पत्रत्ता तं जहा महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफ'गुमी हत्थो चित्ता साती बिसाहा, अनुराधादिया णं सरा नक्षत्ता पच्छिमदारिया पत्रता तं जहा-अनुराधा जेट्टा मूलो पुव्यासाढा उत्तरासाढा अभिई सवणो धणिद्वा
1॥२७|-3
||२८||-4
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