Book Title: Agam 17 Chandpannatti Uvangsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चंदपनत्ती - 9/1/1 नमो नमो निम्मल तणस्स पंचम गणघर श्री सुपर्मा स्थामिने नमः १७|चंद पन्नत्ती ॥911-1 |२||-2 ।।३।1-3 ||४||-4 |५||-5 छर्ल्ड उवंग | पढमं पाहुडं| -: प ट मं पा हु डं पाहु: ___ नमोअरिहंताणा जयति नवगलिणकुवलय-वियसियसववत्तपत्तलदलच्छो वीरो गयंदमयगल-सललियगयविक्कमो भयवं नमिऊण असुरसुर-गरुलभुयगपरिवदिए गयकिलेसे अरिहे सिद्धायरिए उवज्झाए सब्बसाहू य फुडवियडपागडत्थं वोच्छं पुच्वसुयसारणीसंद सुहमगणिण नोवदिटुंजोइसगणरायपत्रर्ति नामेण इंदभूतित्ति गोतमो वंदिऊण तिविहेणं पुच्छइ जिनवरवसहं जोइसगणरायपत्रत्तिं कई मंडलाइ वधइ तिरिच्छा किं व गच्छइ ओमासइ केवइयं सेयाइ किं ते संठिई कहिं पडिहया लेसा कहं ते ओयसंठिई के सूरियं वरयंती कहं ते उदयसंठिती कतिकट्ठा पोरिसिच्छायाजोगे किं ते आहिए किंते संबच्छराणादी कइ संवच्छराइय कहं चंदसमो वुड्ढी कया ते दोसिणा बहू केई सिग्धगई वुत्ते कह दोसिणलक्खणं चयणोववाते उच्चत्ते सूरिया कति आहिया अनुभावे के व से वुत्ते एवमेयाई वीसाई सेत्तं पाहुह संखा)-11 वड्ढोवुड्ढी मुहत्ताणमद्धमंडलसंठिई के ते चिण्णं परियरइ अंतरं किं चरंति य (११) ओगाहइ केवइयं केवइयं च विकंपइ मंडलाण य संठाणे विखंभो अट्ठ पाहुडा [से तं पढमे पाहुई पाहुड पाहुइ संखा । (१२) छप्पंच यसत्तेव य अट्ठयतिण्णि य हवंति पडिवत्ती पढमस्स पाहुइस्स उ हवंति एवओ पडिवत्ती [से तं पदमे पाहुडे पाहुइ पाहुइ पडिवती संखा-३। ||६||-6 ||७||-7 ||८||-8 |९||-9 (१०) |१०|-10 19911-11 ||१२|12 For Private And Personal Use Only

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