________________ ॐ अहं . जिनागम-प्रन्यमाला: ग्रन्था१६ [परमश्रद्धेय गुरुदेव पूज्य श्रीजोरावरमलजी महाराज की पुण्य-स्मृति में आयोजित ] श्री श्यामार्यवाचक-संकलित चतुर्थ उपांग प्रज्ञापनासूत्र [प्रथम खण्ड] [ मूलपाठ, हिन्दी अनुवाद, विवेचन, टिप्पणयुक्त ] - सन्निधि उपप्रवर्तक शासनसेवी स्वामी श्री व्रजलालजी महाराज संयोजक तथा प्रधान सम्पादक युवाचार्य श्री मिश्रीमलजी महाराज 'मधुकर' / सम्पादक-विवेचक-अनुवादक श्री ज्ञानमुनिजी महाराज [स्व. जैनधर्मदिवाकर, प्राचार्य श्री आत्मारामजी महाराज के सुशिष्य] 0 सह-सम्पादक श्रीचन्द सुराना 'सरस' 0 प्रकाशक श्री पागम प्रकाशन-समिति, ब्यावर (राजस्थान) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org