Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 609
________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्र० २ सू० १७ नपुंसकानां स्थितिनिरूपणम् ५८५ यणपुंसगा असंखेज्जगुणा' रत्नप्रभापृथिवीनैरयिकनपुंसका असख्येयगुणा अधिका भवन्ति । रत्नप्रभानपुंसकापेक्षयाऽपि 'खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा असंखेज्जगुणा' खेचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसका असख्येयगुणाधिका भवन्ति, खेचरनपुंसकापेक्षयाऽपि 'थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा संखेज्जगुणा' स्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकाः संख्येयगुणाधिका भवन्ति स्थलचरनपुंसकापेक्षयाऽपि 'जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा संखेज्जगुणा' जलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकाः सख्येयगुणाधिका भवन्तीति जलचरनपुंसकापेक्षया 'चउरिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा विसेसाहिया' चतुरिन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसका विशेपाधिका भनन्तीति चतुरिन्द्रियनपुंसकापेक्षयापि-'तेइंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा विसेसाकर्मभूमिक पूर्व विदेह और पश्चिम विदेह के मनुष्यनपुंसको की अपेक्षा " रयणप्पभापुढवीणेरइयणपुंसगा असंखज्जगुणा" रत्नप्रभा पृथिवी के जो नैरयिक नपुंसक है वे असंख्यात गुणे अधिक है । इनकी अपेक्षा "खहयरपंचिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा असंखज्जगुणा" खेचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग् योनिक नपुंसक असंख्यात गुणें अधिक है । इन खेचरनपुंसको की अपेक्षा " थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा संखेज्जगुणा" स्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग् योनिकनपुंसक संख्यात गुणे अधिक है । इन स्थलचरनपुंसको की अपेक्षा--" जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा संखेज्जगुणा" जलचर पञ्चेन्द्रियतिर्यगयोनिकनपुंसक संख्यात गुणे अधिक हैं। इन जलचर नपुंसको की अपेक्षा "चउरिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा विसेसाहिया" चौइन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसक विशेषाधिक है. चौइन्द्रियनपुंसकोकी अपेक्षा "तेइंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा विसेसाहिया" तेइंन्द्रियतिर्यग्योनिक नपुंसक विशेषाधिक है. चौइन्द्रियनपुंसको पश्चिम विड न । मनुष्य नस। ४२al "रयणप्पभापुढवी रइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा" રત્ન પ્રભા પૃથ્વીના જે નરયિક નપુસકે છે. તેઓ અસંખ્યાતગણું વધારે છે. તેના કરતાં "खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा असंखेजगुणा" य२ पयन्द्रिय तिर्थयानि नसठे। मसातशय धारे छ. २ मेयर नपुस २ता "थलयर पचिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा संखेजगुणा" स्थाय२ पयन्द्रिय तय यानि नयुस सज्यात वधारे छ. मा २५सय२ नसी ४२i "जलयर पचिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा संखेजगुणा" જલચર પચેન્દ્રિય તિગેનિક નપુંસકે સંખ્યાતગણું વધારે છે. આ જલચર નપુંસકો ४२di "चउरिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा विसेसाहिया" यार ४द्रियवाणा तय-योनि नस। विशेषाधित छ -या२ द्रियाणा नसी ४२ "तेइंदियतिरिक्खजोणियणपुसगा विसेसाहिया" ए ७ दियवा तिय ध्यान नपुंस विशेषाधि छे. ऋ द्रियवाणा तिय योनि नघुस ४२ता "इंदियतिरिक्ख जोणियणपुसगा विसेसाहिया" में छद्रियाणा तिर्थयानि नस। विशेषाधि छ मेट्रियवाणा तिय योनि नस। ४२०i "तेउका ७४

Loading...

Page Navigation
1 ... 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693