Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 638
________________ जीवाभिगमसूत्रे अथाग्रे यथोत्तरमसंख्यातगुणाः प्रदर्श्यन्ते " अहेसत्तमाए पुढवीए' अध. सप्तम्यां पृथिव्यां तमस्तमाभिधानायाम् “णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा" नैरयिकनपुंसका असंख्येयगुणाः, आनतकल्पदेवपुरुषापेक्षया सप्तमनार कनपुंसका असख्येयगुणाधिका भवन्तीति । सप्तमनारकनपुंसकापेक्षा 'छट्टिए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा' पष्टच तमायां नारक पृथिव्यां ये नैरयिकनपुंसकाः सन्ति ते असंख्येयगुणा अधिका भवन्तीति । 'सहस्सा रे कप्पे देवपुरिसा असं खेज्जगुणा " पष्ठपृथिवीनारकंनपुंसकांपेक्षयां सहस्रारकल्पे ये देवपुरुषाः सन्ति ते असख्येयगुणाधिका भवन्तीति 'महासुक्के कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा' सहस्रारकल्पदेवापेक्षया महाशुक्रे कल्पे देवपुरुषा असख्येयगुणा अधिका भवन्तीति 'पंचमाए पुढवीए णेरइयण पुंसगा असंखेज्जगुणा' महाशुक्रकल्पदेवापेक्षया पञ्चम्यां धूमप्रभायां पृथिव्यां ये नैरयिकनपुंसका ते असंख्येयगुणाधिका भवन्तीति 'लंतए कप्पे देवा असंखेज्जगुणा' पञ्चमपृथिवीनार कनपुंसका को कहते है - अहेसतमाए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा' आनतकल्प के देवपुरुषो की अपेक्षा अधः सप्तमी तमतमा नामकी पृथिवी में नैरयिक नपुंसक असंख्यात गुणे अधिक है। "छट्टीए पुढवीए पेरइयणपुंसगा असखेज्जगुणा" सातवीं पृथिवी के नैरयिकनपुंसकों की अपेक्षा छुट्टी पृथिवी में नैरयिकनपुंसक असंख्यात गुणे अधिक हैं । "सहसारे कप्पे देवपुरिसा असखेज्जगुणा " छठवी पृथिवी के नैरयिकनपुंसको की अपेक्षा सहस्रार कल्प में जो देवपुरुष है वे असंख्यात गुणे अधिक है " महासुक्के कप्पे देवा असखेज्जगुणा' सहस्रार कल्पके देवपुरुषो की अपेक्षा महाशुक्रकल्पमें जो देवपुरुष है वे असख्यात गुणे अधिक है "पंचमाए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा' महाशुक्रकल्पके देवो की अपेक्षा पांचमी धूमप्रभां 'पृथिवी के नैरयिकनपुंसक असख्यात गुणे अधिक है । "लंत कप्पे देवा असंखेज्जगुणा' पाचवीं पृथिवी के नैरयिकनपुंसको की अपेक्षा लान्तक कल्प ६१४ हवे असण्यात गुगुवाणा हेवा अथन उवामा आवे छे --' अहे सत्तमाप पुढवीए णेरईयणपुंसगा असंखेज्जगुणा" मानतदपना देवपुषा ४२ता अधः सप्तभी तमःस्तभा नामनी पृथ्वी मां नैरयि! नपुंस असण्यातला मधारे हे "छाहोप पुढवीए णेरइयनपुंसगा असेखेज्जगुणा " सातभी पृथ्वीना नैरचिह्न नयुस । उरतां छुट्टी पृथ्वीना नैरयि नपुंसओ अस - ध्यातगया वधारे हे "संहस्सारे कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा " छठ्ठी पृथ्वीना नैरथिङ नपुंस। पुश्ता सहस्रारम्हपना हेवपुरषो समस्यालगाया वधारे हे " महासुक्के कंप्पे देवा असंखेज्जगुणा" सहस्त्रारत्पना देवपुरषोरता भडाशुउस उदयना हेवयु३षा असंख्यातगाथा वधारे छे “पंचमाप पुढवीप णेरइयणपुलगा असंखेज्जगुणा " महाशु उत्पना देवपुषा ४२तां यायभी धूमप्रला पृथ्वीना नैयि नयुसमे सभ्याता वधारे छे. "लंतए कप्पे देवा असखेज्जगुणा" पायभी पृथ्वीना नैरयि नपुंसो उरतां सान्तपना देवपुषा असण्यात गए। वधारे छे. "चउत्थीप पुढवीप णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा " सान्तपना व३ष ४२तां

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