Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 669
________________ अशुद्ध सव्वस्पृणवाण भते जावा भगवानानह આગણીલમ' पृथिवाकायिक योनक भते ६७ भा मु अन्तमुहूर्त कहीं एकविंशतमं उववज्जां कत्यागतगतिकाः कह गव्यागतिकाः पुढवाकाइया 11 आहारा तिरिक्खजाणिय साहम्मे मरणंतिय ना साधर्म श्रवण ठिवुगसठिया } स्वरबादरपृथिधीकायिकाः शुद्ध सव्वापणयाए भंते जीवा भगवानाह ઓગણીસમુ पृथिवीकायिक योनिक भंते ૬ ઠ્ઠા मुहु अन्तर्मुहूर्त्त कहीं एकविंशतितमं उववज्जति कत्यागतिकाः कइ कत्यागतिकाः पुढवीकाइया आहारो तिरिक्खजोणिय सोह मारणंतिय नो स्वरबादरपृथिवीकायिका - सौधर्म श्रमण थिवुगसंठिया पृष्ठाङ्क ११७ ११७ ११८ ११९ ૧૧૯ १२० १२० १२१ ૧૨૧ J १२१ १२२ १२२ १२३ १२४ १२५ १२५ १२६ १२७ १२७ १२७ १२७ १२७ १२७ १२९ १३५ १३८ १४१ पंक्ति २७ १० ५ १४ ૨૩ १२ १५ १७ ૨૪ ३१ १० १० १ १८ ८ १८ १ ४ १० ११ १२ १३ १६ ५ १२ १७ १६

Loading...

Page Navigation
1 ... 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693