Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 651
________________ vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvv प्रमेयद्योतिका टीका प्र० २ सू० २२ विशेपतस्तिर्यगादीनं संमिश्र नवममल्पबहुत्वम् ६२७ सप्तविंशतिगुणत्वात् , स्वस्थाने तु परस्परं तुल्याश्च भवन्तीति । 'अणुत्तरोववाइयदेवपुरिसाअसंखेज्जगुणा' पूर्वविदेहापरविदेहमनुष्यस्त्र्यपेक्षया अनुत्तरोपपातिकदेवपुरुषा असख्येयगुणाधिका भवन्ति अत्रत उपरितनगवेयकादारभ्य पश्चानुपूर्व्याऽतना आनतकल्पपर्यन्ता देवपुरुषा यथोत्तरं सख्यातगुणाः, तथाहि-'उवरिमगेवेज्जदेवपुरिसा संखेज्जगुणा' अनुत्तरोपपातिकदेवापेक्षया उपरितनौवेयकदेवपुरुषाः सख्येयगुणाधिकास्तेभ्यो 'जाव आणतकप्पे देवपुरिसा । संखेज्जगुणा' मध्यमप्रैवेयकदेवपुरुषाः संख्येयगुणाः, तेभ्योऽधस्तनौवेयकदेवपुरुषा- संख्येयगुणा, तेभ्योऽच्युतकल्पदेवपुरुपाः सख्येयगुणाः, तेभ्य आरणकल्पदेवपुरुषाः सख्येयगुणाः, तेभ्यः प्राणतकल्पदेवपुरुषाः सख्येयगुणाः, पूर्वविदेह और पश्चिम विदेह रूप कर्मभूमि की मनुष्य स्त्रियां संख्यात गुणी अधिक है क्योकि ये यहां के मनुष्यो की अपेक्षा २७ सताईस गुणी अधिक होती है. यथा स्वस्थान में ये परस्पर में तुल्य है "अनुत्तरोववाइदेवपुरिसा असंखेज्जगुणा" पूर्वविदेह और पश्चिम विदेह की मनुष्य स्त्रियो की अपेक्षा अनुत्तरोपपातिक देव पुरुष असख्यात गुणे अधिक हैं । "उवरिमगेवेज्जदेवपुरिसा संखेज्जगुणा" उपरितन अवेयक को लेकर पश्चानुपूर्वी से आनत कल्पके देव पुरुष सख्यात गुणे हैं, जैसे-अनुत्तरोपपातिक देव पुरुपो की अपेक्षा उपरितन अवेयक के जो देव पुरुष है वे सख्यात गुणे अधिक है। "जाव आणतकप्पे देवपुरिसा संखेज्जगुणा" यावत् आनत कल्प में जो देव पुरुष है वे सख्यात गुणे अधिक हैं । भाव इसका ऐसा है-अनुत्तरोपपतिक देवो की अपेक्षा उपरितन अवेयक देव पुरुष सख्यात गुणे अधिक है। इनकी अपेक्षा मध्यम प्रैवेयक के देव पुरुष सख्यात गुणे अधिक है. इनकी अपेक्षा अधस्तन ग्रैवेयक के जो देवपुरुष है वे सख्यात गुणे अधिक है। इनकी अपेक्षा अच्युतकल्प के जो देवपुरुष है .वे सख्यात गुणे अधिक है। इनकी - કર્મભૂમિના પુરૂષ કરતા પૂર્વ વિદેહ અને પશ્ચિમ વિદેહ રૂપ કર્મભૂમિની મનુષ્ય સ્ત્રિ સંખ્યાતગણી વધારે છે. કેમકે તેઓ ત્યાંના મનુષ્યો કરતા ૨૭ સત્યાવીસ ગણી વધારે હોય छे तथा २१स्थानमा तमा ५२२५२ तुक्ष्य छ "अणुत्तरोववायदेवपुरिसा असंखेज्जगुणा" પૂર્વવિદેહ અને પશ્ચિમ વિદેહની મનુષ્ય સ્ત્રિ કરતા અનુત્તરપપાતિક દેવપુરૂષ અસંખ્યાત गा पधारे "उवरिमगेवेजदेवपुरिसा संखेज्जगुणा" परितन पेय ने दान पश्चानु. પૂવથી આનતકલ્પપર્યન્તના દેવ પુરૂષો સંખ્યાલગણા વધારે છે. જેમકે–અનુત્તરપપાતિક દેવ पु३ष। ४२ता परितन वेयना २ हेक्युषो छ, तया सयात वधारे छे. "जाव आणत. कप्पे देवपुरिसा संखेज्जगुणा" यावत् मानत ४६५मारे १५३। छ, तमो समयात! વધારે છે. આ કથનને ભાવ એ છે કે--અનુત્તરપાતિક દેવે કરતા ઉપરિતન શૈવેયક દેવપુરૂ સ ખ્યાતગણું વધારે છે તેના કરતા મધ્યમ ઐયક દેવપુરૂ સંખ્યાલગણા વધારે છે. તેના કરતાં અધિસ્તન વેયકના જે દેવ પુરૂષે છે, તેઓ સ ખ્યાતિગણું વધારે છે. તેના કરતાં અશ્રુત

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