Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 663
________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्र० २ सू० २४ स्त्रीणां स्वजातिपुरुषापेक्षया कतिगुणाधिकत्वम् ६३९ पेभ्यः, 'तिगुणा उ तिरूवाहियाओ' त्रिगुणास्तु त्रिरूपाधिकाः, 'मणुस्सित्थीओ' मनुष्यस्त्रिय 'मणुस्सपुरिसे हितो' मनुष्यपुरुपेभ्य., 'सत्तावीसइगुणाओ' सप्तविशतिः गुणाः 'सत्तावीसहरूवाहियाओ' सप्तविंशतिरूपाधिकाश्च भवन्तीति । 'देवित्थीओ देवपुरिसेहिंतो' देवस्त्रियो देवपुरुषेभ्यः 'बत्तीसइगुणाओ वत्तीसईख्वाहियाओ' द्वात्रिंशद्गुणा. द्वात्रिंशद्रूपाधिकाः, उक्तमन्यत्रापि 'तिगुणा तिरूवाहिया तिरियाणं इत्थिया मुणेयव्या । सत्तावीसगुणा पुण मणुयाण तदहिया चेव ॥१॥ वत्तीसगुणा बत्तीसरूवअहिया उ होति देवाणं । देवीओ पण्णत्ता जिणेहि जियरागदोसेहिं ॥२॥ छाया- 'त्रिगुणा स्त्रिरूपाधिका स्तिरश्चां स्त्रियो ज्ञातव्याः ।। सप्तविंशतिर्गुणाः पुनर्मनुजाना तदधिकाश्चैव ॥१॥ द्वात्रिंशद्गुणा द्वात्रिंशद्रूपाधिकास्तु भवन्ति देवानाम् । देव्यः प्रज्ञप्ता जिनैर्जितरागद्वेषैः ॥२॥ याओ" इनमें जो तिर्यग्योनिक स्त्रियाँ है वे तिर्यग्योनिक पुरुषो की अपेक्षा तिगुनी है-इसी का भाव है-कि वे त्रिरूपाधिक है । 'मणुस्सित्थियाओ सत्तावीसइगुणाओ" मनुष्ययोनिक स्त्रियाँ है वे मनुष्य पुरुषो की अपेक्षा सत्ताईस गुनी अधिक है अर्थात् सत्ताईसरूपाधिक है। "देवित्थियाओ देवपूरिसेहितो बत्तीसगुणाओ" देव स्त्रियाँ देवपुरुषो की अपेक्षा बत्तीस गुनी अधिक है-बत्तीस रूपाधिक है । ऐसा ही अन्यत्र कहा है-- "तिगुणा तिरूवाहिया तिरियाणं इत्थिया मुणेव्वा । सत्तावीसगुणा पुण मणुयाणं तदहिया चेव ॥१॥ बत्तीसगुणा बत्तीसरूवअहिया उ हौति देवाणं ॥ देवीओ पण्णत्ता जिणेहि जियरागदोसेहि ॥२॥ अब प्रतिपत्ति का उपसंहार करते हुए सूत्रकार कहते है-"से तं तिविहा संसारसमावन्नगा जीवा पन्नत्ता" इस प्रकार से ससार समापन्नक जीव तीन प्रकार के कहे गये है इस अधिकृत प्रतिपत्ति के अधिकार की संग्रह गाथा जो इस प्रकार से कही गई है-"तिविहेसु" इत्यादि કરતા બત્રીસગણી વધારે છે. એટલે કે બત્રીસરૂપાયિક છે એજ પ્રમાણે બીજેપણ કહ્યું છે કે "तिगुणा तिरूवाहिया तिरियाण इत्थिया मुणेयव्वा । सत्तावीसगुणा पुण मणुयाणं तदहिया चेव ॥१॥ बत्तीसगुणा वत्तीसरुवअहिया उ होति देवाणं ॥ देवीओ पण्णता जिणेहिं, जियरागदोसेहिं ॥२॥ मा भी प्रतिपत्तिनी पसे ।२४२॥ सूत्रा२ ४९ छ ?--"से तं तिविहा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता” मा प्रभारी ससार समापन पत्र प्रारथी वामां આવ્યા છે આ અધિકૃત પ્રતિપત્તિના અર્થાધિકારની સંગ્રહગાથા આ પ્રમાણે કહી છે.-- "तिविहेसु" त्या આનો અર્થ આ પ્રમાણે છે – આ ત્રણે વેદને નિરૂપણ કરવા વાળી પ્રત્તિપત્તિમાં સી, પુરૂષ, અને નપુંસક એ પ્રમાણે ત્રણ વેદોનું કથન કરવામાં આવેલ છે પહેલો અધિકાર *

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