Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 625
________________ मेयोतिका टीका प्र० २ ० २० विशेषत स्तिर्यगादिसम्बन्धिपष्ठमल्पबहुत्वम् ६०१ त्प्रदेन •अप्क्राय़िक़तेजस्कायिकवायुकायिकैक्केन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकानां ग्रहणं भवति । 'बेइंद्रियतिरिक्खजोणित्रण पुंसगाणं' द्वीन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकानाम् 'तेइंन्दियतिरिक्खजोणियण पुंसगाणं' त्रीन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकानाम् ' चउरिंदियतिरिक्खजोणियण पुंसगाणं' चतुरिन्द्रियतिर्यग्योनिक्रनपुंसकानाम् 'पंचिंदियतिरिक्खजोणियण पुंसगाणं' पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकऩपुंसकानान् 'जलयराणं' गर्भव्युत्क्रान्तिकजलचराणाम् 'थलयराणं' गर्भजस्थलचराणाम् 'खइयराणं' गर्भजखेचराणाम् ' कयरे कयरेहिंतो' कतरे कतरेभ्यः 'जाव विसेसाहिया' यावद्विशेषाधिकाः, अत्र यावत्पदेन अल्पा वा बहुका वा, तुल्या वेत्येतेषां ग्रहणं भवतीति षष्ठाल्पबहुत्वविषयकः प्रश्नः, भगवानाह –'गोयमा' ! इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'सव्वत्थोवा' सर्वस्तोकाः सर्वेभ्योऽल्पीयांसः ‘खयर तिरिक्खजोणियपुरिसा' खेचरतिर्यग्योनिकपुरुषा भवन्तीति, 'खड़यतिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज्जगुणाओ' खेचरतिर्यग्योनिकपुरुषापेक्षया खेचरतिर्यग्योनिकस्त्रियः सख्येयगुणा अधिका भवन्ति त्रिगुणत्वात् । 'थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियपुरिसा"सकों के, “बेइं दियति रिक्खोणियण पुसगाणं' दो इन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसको के "तेईदियतिरिक्खजोणयणपुंसगाणं” ते इन्द्रिय तिर्यग्यनिकनपुंसकों के “ चउरिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं" चौइन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकों के, 'पंचिंदियतिरिक्खजोणियण पुंसगाणं” पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिकनपुंसकों के, “जलयराणं' गर्भजजलचरोके, “थलयराणं' गर्भजस्थलचरो के एवं 'खहयराणं' गर्भ खेचरो के बीच में "कयरेकयरेहिंतो जाव विसेसाहिया' कौन किनसे अल्प है कौन किनसे बहुत है ? कौन किनके बराबर है ? और कौन किनसे विशेषाधिक है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं 'गोयमा ? सव्वत्थोवा खहयर तिरिक्खजोणिय पुरिसा'. हे गौतम 2 सव से कम खेचर तिर्यग्योनिक पुरुष है ' खहयर तिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज्जगुणाओ' खेचर तिर्यग्योनिक पुरुषों की अपेक्षा खेचर तिर्यग्योनिकस्त्रियाँ संख्यात गुणी अधिक है क्योकि पुरुषो की अपेक्षा तिगुनी होती है । 'थलयर पंचिंदियतिरिक्खजोणियपुरिसा संखेज्जगुणा' खेचरत्रियो की तिरिक्खणिय णपुंसगाणं" मे 'द्रियवाजा तिर्यग्योनिः नपुं सभां “तेइंदियतिरिक्खजोणिय पापुंसगाणं" त्रागु ईन्द्रिय वाफा तिर्यग्योनि नपुं सभां “चउरिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं" यार ४ न्द्रियो वाज़ा तिर्यग्योनि नयु सभां “पंचिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं" साथ छद्रियोत्राणा तियंग्योनि नपुं सभा "जलयराणं” गर्ल सयरोमां थल यराणं शर्म स्थलमां ने “खहयराणं" जलन मेयशमां " कयरे कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा' नाथी ? अनाथी वधारे हे ? आशु अनी मरोभर छे ? અને કણ કોનાથી વિશેષાધિક છે ? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુ ગૌતમ સ્વામીને કહે છે કે"गोयमा ! सव्वत्थोवा खहयरतिरिक्खजोणिय परिसा " हे "गतम् ! सौथी सोछा मेयर तिर्यग्योनि पुरुष छे. 'सहयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज्जगुणाओ" मेयर तिर्यग्योनिक પુરૂષો કરતા ખેચરતિય ગ્યોનિક સ્ત્રિયો સખ્યાત ગણી વધારે છે. કેમકે-પુરૂષો કરતાં સ્ત્રિયોનું भाषा वधारे हे "थलयर पंचिदियतिरिक्खजोणियपुरिसा संखेज्जगुणा" मेयर ७७

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